◼️हमें युवाओं की तरफ अपना हाथ बढाना होगा, उन्हें विश्वास दिलाना होगा कि एग्जॉम से जिदंगी बहुत बडी है



सिटी न्यूज़ | हिंदी.....✍🏻

गाजियाबाद :- युवाओं में बढ़ते अवसाद यानि डिप्रेशन व अकेलेपन के चलते युवाओं द्वारा आत्महत्या के मामले बढते जा रहे हैं। जाने माने अभिप्रेरक वक्ता, शैक्षिक और समसामयिक, न्यूरो भाषाविज्ञान संबंधी प्रोग्रामिंग मामलों के विशेषज्ञ ओजांक शुक्ला का कहना है कि इस पर अंकुश लगाने के लिए हमें उनकी तरफ हाथ बढाना होगा, उनकी मदद करनी होगी और उनके साथ समय बिताना होगा। 

ओजांक शुक्ला ने कहा कि नीट की परीक्षा में सफल ना होने पर नोएडा की युवती ने आत्महत्या कर ली। यह कोई पहला मामला नहीं है। हमें आए दिन युवाओं द्वारा आत्महत्या किए जाने की पढने व सुनने को मिल रही हैं। इसका प्रमुख कारण युवाआें में बढता अवसाद व अकेलापन है। आज संयुक्त परिवार टूट रहे हैं। अभिभावकों के पास बच्चों के लिए समय ही नहीं है। इससे वे अपनी बात किसी से भी नहीं कह पा रहे हैं। इसके कारण उनके अंदर डिप्रेशन.अवसाद व अकेलापन बढता जा रहा है। 

डिप्रेशन एक ऐसी मानसिक अवस्था होती है जहां व्यक्ति को अपने अंदर सिर्फ निराशा-हताशा ही दिखाई देती है। उसकी निराशा-हताशा इतनी बढ़ जाता है कि उसे अपने जीवन खत्म कर लेना ही सबसे आसान और एकमात्र विकल्प जान पड़ता है। अपने अकेलेपन और अवसाद से लड़ न पाने की हालत में आत्महत्या कर लेता है। ओजांक शुक्ला ने कहा कि संयुक्त परिवारों के टूटने, अपने साथियों सहयोगियों के बीच खुद को साबित ना कर पाने, बाहर की दुनिया के चकाचौंध और प्रतियोगिता से भरी होने व माताण्पिता द्वारा अपने बच्चों के रिजल्ट को अपनी प्रतिष्ठा और सामाजिक हैसियत से जोड़ लेने से उनके मन पर अनावश्यक बोझ पड़ता है।

उन्हें लगता है कि परीक्षा में अच्छा ना कर पाने की स्थिति में वह दुनिया का सामना नहीं कर पाएंगे और  उन्हें जीवन को खत्म कर लेना बेहतर विकल्प लगने लगता है। हमें उनकी तरफ मदद का हाथ बढ़ाना होगाए बात करनी होगी और विश्वास दिलाना होगा कि यह सिर्फ एक एग्जॉम है। जिंदगी इससे बहुत बड़ी है। असफलताएं ही हमें सफलता की ओर ले जाती हैं। उन्हें ऐसे लोगों का उदाहरण देना होगा जिन पर एक से बढकर एक कष्ट आएए मगर वे हारे नहीं और अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में सफल रहे।
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