◼️ 26 सितंबर से हो रहे हैं शारदीय नवरात्र आरंभ



सिटी न्यूज़ | हिंदी.....✍🏻

गाज़ियाबाद :- इस शारदीय नवरात्रि 26 सितंबर दिन सोमवार से आरंभ हो रहे हैं। सोमवार को नवरात्रि आरंभ होने के कारण मां भगवती हाथी पर सवार होकर आएंगी। शास्त्रों में यद्यपि शेर को भवानी माता का वाहन माना गया है लेकिन यह वाहन युद्ध के समय ही रहता है। अपने भक्तों की रक्षा करने के लिए ,उन्हें आशीर्वाद देने के लिए दिनों के अनुसार अलग-अलग वाहनों पर आती हैं। जैसा कि देवी भागवत से लिखे गए इस प्रमाण को देखें। जो नीचे लिखे श्लोक में वर्णित है 

शशिसूर्ये गजारूढा ,शनि भौमे तुरंगमे।
गुरूशुक्रौ च दोलायां,बुध नौका प्रकीर्तिता।।
अर्थात जब नवरात्रि का आरंभ  रविवार और सोमवार को आरंभ होता है तो मां भगवती हाथी पर सवार होकर आती है । शनिवार मंगलवार को आरंभ होने वाले नवरात्र में दुर्गा माता घोड़े पर सवार होकर आती है। गुरुवार और शुक्रवार को झूले पर सवार होकर आती है और बुधवार को नौकि पर सवार होकर आती है। हाथी पर सवार होकर आने से सूर्य के दक्षिणायन काल में पर्याप्त वर्षा होने का संकेत होता है प्रजा सुखी  रहती है।

कलश स्थापना के शुभ मुहूर्त
शारदीय नवरात्र भाद्रपद मास की प्रतिपदा तिथि ,दिन सोमवार को प्रातः सूर्योदय से  7: 30 बजे तक शुभ योग रहेगा। जो कलश स्थापना के लिए शुभ
हैं। तत्पश्चात है 7:30 से 9:00 बजे तक राहुकाल है उसमें कलश स्थापना नहीं करनी चाहिए।
प्रातः काल 10:08 से 12:25 तक वृश्चिक लग्न ( स्थिर लग्न) रहेगा और उसी बीच में अभिजीत मुहूर्त होगा,जो स्थापना के लिए  अति शुभ है।
यदि किसी कारणवश इन मुहूर्त में कलश स्थापना नहीं  हो सकी  तो फिर शाम को 16:12 से 17:39 बजे तक कुंभ लग्न ( स्थिर लग्न) में भी  कलश स्थापना कर सकते हैं।
दुर्गा अष्टमी पूजा  (कन्या पूजन) 3 अक्टूबर को होगी।
जो भक्तगण सप्तमी का व्रत रखकर अष्टमी को कंजक जिमाते हैं वह 3 अक्टूबर को ही कन्या पूजन करें।
महानवमी पूजन 4 अक्टूबर को होगा और उस  दिन नवरात्रि समाप्त हो जाएगी।

हाथी पर सवार होकर ही जाएंगी दुर्गा माता
दिन बुधवार दशहरे के दिन प्रातः महासरस्वती का विसर्जन होगा। जब बुधवार को भगवती माता का विसर्जन होता है तो शास्त्रों के नियमानुसार हाथी पर बैठकर बिदा होती है इसका फलादेश इस प्रकार है कि देश में धन-धान्य सुख समृद्धि के योग बनेंगे।
5 अक्टूबर को दशहरे का पर्व मनाया जाएगा
Previous Post Next Post