रिपोर्ट :- अजय रावत

गाज़ियाबाद :- प्रबोधिनी अथवा देवोत्थान एकादशी इस बार 4 नवंबर को आ रही है। शास्त्रों के अनुसार इस दिन 4 महीने से चला आ रहा चातुर्मास समाप्त हो जाता है। भगवान श्री हरि जागृत होकर के विश्व का कल्याण करना आरंभ कर देते हैं। इस दिन कुछ साधक तुलसी विवाह भी करते हैं।
जो व्यक्ति एकादशी का व्रत रखते हैं और उस का समापन अर्थात उद्यापन करना चाहे तो इस तिथि को किया जाता है।
पिछले चार माह से जो वर्षा काल चला आ रहा था। वह 4 नवंबर को समाप्त हो जाएगा। शास्त्रों में चातुर्मास अर्थात वर्षा ऋतु का समय यात्रा व घूमने फिरने आदि के लिए वर्जित है। प्राचीन काल में नदियों पर पुलों की सुविधा नहीं थी तथा वाहनों की सुविधा नहीं थी। इसलिए इन दिनों में व्यक्ति अपने घर में रहकर भगवान नारायण का पूजन भजन करता था और अपने कार्य करता था।
 
शादी विवाह के मुहूर्त भी बंद हो जाते थे क्योंकि वर्षा काल में जब आवागमन बाधित हो जाता था ऐसे समय में कोई अपने घर या गांव से बाहर नहीं जा पाता था। जिंदगी आज परिस्थितियां बदल गई है किंतु आज भी हम देखते हैं कि इन 4 महीनों में कुछ व्यक्ति हिमालय की तरफ यात्रा करते हैं और कभी-कभी भूस्खलन ,भारी वर्षा से दुर्घटना का शिकार जाते हैं। आज हमारे ऋषि-मुनियों ने जो नियम बनाए थे वह आज भी लागू हैं। इस दिन एकादशी व्रत करने वाले साधक तुलसी का विवाह भगवान विष्णु के साथ करते हैं और ब्राह्मणों विद्वानों से कथा सुनकर के उनको दान दक्षिणा देते हैं।

भारतीय पंचांग के अनुसार पांच पर्व विवाह के लिए अनसूझ विवाह मुहूर्त होते हैं
देवोत्थान एकादशी, बसंत पंचमी, फुलेरा दूज, अक्षय तृतीया, और भड़रिया नवमी। इन स्वयं सिद्धि मुहुर्त 5 दिनों में जिन युवक युवती का विवाह नहीं बन पा रहा है वह बिना किसी विद्वान या ब्राह्मण से बिना पूछे विवाह कर सकते हैं।
देवोत्थान एकादशी 4 महीने के बाद आने वाला सबसे पहला वह अनसूझ अर्थात स्वयं सिद्धि विवाह मुहूर्त है जिसकी प्रतीक्षा युवा युवती और उनके अभिभावक लोग करते हैं । भारतवर्ष में इस तिथि में लाखों शादियां होती हैं।

विवाह आदि कार्य हो जाएंगे आरंभ
देवोत्थान एकादशी के पश्चात सभी पूजा-पाठ संबंधी पाबंदियां हट जाती हैं। विवाह मुहूर्त, गृह प्रवेश मुहूर्त और वैवाहिक कार्य आरंभ हो जाते हैं। इस बार नवंबर और दिसंबर में देवोत्थान एकादशी के विवाह मुहूर्त को छोड़कर मात्र 7 विवाह मुहूर्त हैं। शुक्र अस्त के कारण नवंबर में विवाह मुहूर्त बहुत कम है। 4 नवंबर को शुक्र उदय हो जाएंगे उसके पश्चात 28 नवंबर का केवल एक ही विवाह मुहूर्त नवंबर में है। दिसंबर में दो ,तीन, चार, सात ,आठ और 9 दिसंबर को ही विवाह मुहूर्त रहेंगे उसके पश्चात 16 दिसंबर से 13 जनवरी तक सूर्य मीन सक्रांति में आकर मलमास का आरंभ करेंगे। जिसमें फिर से वैवाहिक आदि शुभ कार्य बंद हो जाएंगे।


आचार्य शिव कुमार शर्मा ,आध्यात्मिक गुरु एवं ज्योतिषाचार्य गाजियाबाद
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