रिपोर्ट :- अजय रावत

गाज़ियाबाद :- समाजवादी चिंतक, स्वतंत्रता सेनानी, लोकनायक जयप्रकाश नारायण भारत रत्न लोकतंत्र के प्रबल पक्षधर का जन्मदिन कार्यक्रम लोक शिक्षण अभियान ट्रस्ट द्वारा ज्ञानपीठ केंद्र एक स्वरूप पार्क के प्रांगण में आयोजित किया गया। समारोह की अध्यक्षता समाजवादी विचारक शिक्षाविद लोक शिक्षण अभिमान ट्रस्ट के संस्थापक अध्यक्ष राम दुलार यादव ने किया, आयोजन प्रेम चंद पटेल ने संचालन श्रमिक नेता अनिल मिश्रा जी ने किया। लोकनायक जयप्रकाश नारायण के चित्र पर पुष्प अर्पित कर उनके व्यक्तित्व कृतित्व पर प्रकाश डालते हुए देश, समाज की सेवा में उनके योगदान की सराहना करते हुए स्मरण किया गया तथा उनके विचार से प्रेरणा ले देश समाज व्यक्ति के सर्वांगीण विकास के लिए कार्य करने का संकल्प लिया गया।
 
कार्यक्रम को संबोधित करते हुई शिक्षाविद रामदुलार यादव संस्थापक अध्यक्ष लोक शिक्षण अभिमान ट्रस्ट ने कहा कि जय प्रकाश बाबू सार्वजनिक जीवन में अनैतिक आचरण के घोर विरोधी लोकतंत्र एवं लोकशाही के प्रबल पक्षधर थे उनका महत्व इस एक ही बात से पता चल जाता है कि महात्मा गांधी ने कहा था कि लोकतंत्र और समाजवाद के बारे में जो जेपी नहीं जानते वह दूसरा कोई नहीं जानता सिर्फ समाजवाद लोकतंत्र ही नहीं राष्ट्रीयता भी उनके जीवन का आदर्श रही है इसके लिए वह जीवन के अंतिम क्षण तक संघर्ष करते रहे। देश को आजाद कराने में अनेकों बार जेल गए लाहौर जेल में अमानवीय यातना झेली। 

हजारीबाग जेल की दीवार फांद कर कई दिनों तक जंगल में भटकते रहे और आजादी की अलख जगाते रहे जब देश आजाद हुआ तो वह सर्वोदय आंदोलन में विनोबा भावे जी के साथ भूमिहीनों को भू स्वामियों से भूमि दिलवाने का कार्य किया। उन्होंने 200 से अधिक दुर्दांत डाकूओं का आत्मसमर्पण करवाया, उनका मानना था गौरव और विलासिता की महत्वकांक्षा के कारण लालच, बेईमानी, स्वार्थ, आत्मकेंद्रियता, ईर्ष्या, अहंकार, धोखा, अलगाव, अकेलापन, घृणा और नकारात्मक प्रवृत्तियां लगातार बढ़ रही है आजादी के 27-28 वर्ष बाद भी जनता कराह रही है। भूख महंगाई भ्रष्टाचार  बेरोजगारी चरम पर है।  किसान, मजदूर, छोटा व्यवसायि तबाह है आत्महत्या कर रहा है नौजवान कुंठा ग्रस्त है।

1974 में छात्र बढी हुई छात्रावास फीस को कम कराने के लिए गुजरात में आंदोलन कर रहा था बिहार के छात्रों ने संघर्ष समिति बना गुजरात आंदोलन का समर्थन किया तथा जेपी बाबू से आंदोलन का नेतृत्व करने के लिए अनुरोध किया। आंदोलन ने इतना भयंकर रूप लिया कि तत्कालीन केंद्र सरकार को 25 जून 1975 को आपातकाल घोषित कर जय प्रकाश बाबू और देश की विरोधी पार्टी के लाखों नेताओं कार्यकर्ताओं को जेल में डाल दिया गया। जब आपातकाल हटा तो जे.पी. के प्रयास से जनता पार्टी का गठन हुआ। आम लोकसभा के चुनाव में इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली सरकार की करारी हार हुई, यह जे.पी. के प्रयास से ही संभव हो पाया।
 
श्री यादव ने कहा कि आज भी लोकतंत्र और संविधान पर खतरे के बादल मंडरा रहे हैं, लोकतंत्र की दीवारें दरक रही हैं, संवैधानिक संस्थाओं को बेरहमी से कमजोर किया जा रहा है, लोकतंत्र का चौथा स्तंभ अंधभक्त बना चारण और भाट का काम कर रहा है।  न्यायपालिका पर प्रश्नचिन्ह खड़ा हो रहा है कार्यपालिका भ्रष्टाचार में लिप्त  सरकार की हां में हां मिला कर कार्य कर रही है। व्यवस्थापिका के लोग प्रश्न पूछ नहीं पा रहे हैं उनकी आवाज की अनदेखी की जा रही है। आज लोकनायक जयप्रकाश नारायण की याद आ रही है उनकी देश को आवश्यकता महसूस हो रही है कि वह अब चुप बैठने वाले नहीं थे लोकतंत्र, राष्ट्रीयता के लिए वह बड़ा जन आंदोलन खड़ा कर देते हम उनके विचारों के लोग उन्हें स्मरण कर गौरव और गर्व से भर जाते हैं।

इस कार्यक्रम में प्रमुख साथी शामिल रहे डॉक्टर देवकरण, एस एन जयसवाल, हरेंद्र यादव, अनिल मिश्रा, अमृत लाल चौरसिया, मोहसिन मोहसिन राणा, फौजू दीन, यासीन मुखिया, मुनीम यादव, सम्राट सिंह यादव, बिंदु राय, संजू शर्मा, रेनू पुरी, फूल चंद पटेल, हाजी मोहम्मद सलाम, दिलीप यादव, राम जन्म यादव, ओमप्रकाश अरोड़ा, अखिलेश शुक्ला, राम नवल, अजय, आनंद कुमार, राम सिंह, अमन, अरुण कुमार, मनजीत सिंह, फूलचंद वर्मा, दयाल शर्मा, रामजी यादव, गुलजार, भरत, विजय वीर, राधेश्याम, विजय मिश्रा, रवि चौहान, ताहिर अली पंडित विनोद त्रिपाठी, स्वपन मजूमदार, अमरनाथ आदि गणमान्य लोग उपस्थित रहे।
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