रिपोर्ट :- अजय रावत

गाज़ियाबाद :- श्री धार्मिक रामलीला समिति (पंजी0) कविनगर के मंच पर आज हनुमान जी द्वारा सीता की खोज में लंका को कूच अशोक वाटिका में हनुमान जी की माँ सीता से भेंट, हनुमान जी द्वारा अशोक वाटिका तहस-नहस, हनुमान और रावण के पुत्र अक्षर कुमार के बीच युद्ध, अक्षर कुमार का वध, रावण के निर्देश पर हनुमान जी की पूँछ में आग लगाना और हनुमान जी द्वारा समस्त लंका नगरी को जला कर राख करने की रोमांचकारी लीला का मंचन किया गया।

रामचरित मानस के पंचम सोपान एवं हनुमान जी की शौर्य गाथा श्री सुन्दरकाण्ड का अद्भुत और मनोरम मंचन श्री धार्मिक रामलीला समिति के मंच से हुआ। हनुमान जी वानर वीर देवी स्वयं प्रभा एवं समपाति से मिलते हैं जहां से उन्हें रावण की लंका का पता चलता है। जामवंत द्वारा हनुमान जी को उनकी शक्तियों का स्मरण कराया जाता है और हनुमान जी 400 योजन समुद्र लांघकर अयोध्या पहुंचते हैं। मार्ग में हनुमान जी मैराख, सुरसा और लकनी जैसी बाधाओं को पार करते हैं। 

लंका में उनकी भेंट रावण के भाई विभीषण से होती है। तदोपरान्त हनुमान जी अशोक वाटिका में प्रवेश करते हैं जहां सीताजी को रावण ने रखा था। प्रभु राम की निशानी हनुमान जी सीता जी को देकर अपना परिचय देते हैं। अपनी शुधा को शान्त करने के लिए हनुमान जी अशोक वाटिका में फल तोड़कर खाते हैं और अशोक वाटिका को तहस-नहस कर देते हैं। रावण के दूत रावण को इस घटना की जानकारी देते हैं। रावण अपने पुत्र अक्षय कुमार को हनुमान जी को पकड़ कर लाने के लिए भेजता है और हनुमान जी से युद्ध में अक्षय कुमार मारा जाता है। इस समाचार को सुनकर रावण विचलित हो जाता है और अपने पुत्र मेघनाथ को हनुमान जी को पकड़ कर लाने के लिए भेजता है। मेघनाथ ब्रह्म अस्त्र का प्रयोग कर हनुमान जी को रावण के दरबार में लेकर आता है जहां रावण उन्हें मृत्युदण्ड का आदेश देता है।

परन्तु मंत्रियों के समझाने-बुझाने पर कि हनुमान जी दूत के रूप में आये हैं उनके साथ इस प्रकार का दण्ड उचित नहीं है। तब रावण हनुमान जी की पूंछ में आग लगाने को कहता है। इस बीच रावण और हनुमान जी के मध्य रोचक संवाद होते हैं। पूंछ में आग लगने के बाद हनुमान जी कूदते फांदते समस्त लंका नगरी को अग्नि के हवाले कर देते हैं। सीता जी से विदाई लेकर वो श्री राम के पास वापस चले आते हैं।
इस मंचन के अंत में समिति द्वारा सोने की लंका का दहन किया गया जिसमें भारी संख्या में बम-पटाखे लगे थे। सभी उपस्थित राम भक्तों ने जोरदार तालियों के साथ इस दृश्य का आनन्द लिया।

लीला का मंचन देखने आये सभी अतिथियों का समिति के पदाधिकारियों द्वारा स्वागत किया गया। इस अवसर पर समिति के अध्यक्ष ललित जायसवाल, महामंत्री भूपेन्द्र चोपड़ा, गुलशन बजाज, आर0डी० गोयल, अजय गुप्ता, विपिन कंसल, परमजीत पम्मी, विजय ढींगड़ा, आनन्द गर्ग, तरूण चौटानी आदि उपस्थित रहे।

4 अक्तूबर में रामलीला के मंच से विभीषण द्वारा राम की शरण में आना, नल-नील द्वारा रामसेतु बन्ध, अंगद रावण का संवाद, महायुद्ध आरम्भ एवं लक्ष्मण मूर्छा की लीला का मंचन होगा।
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