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गाजियाबाद :- सरस्वती शिशु मंदिर नेहरू नगर गाजियाबाद में चल रहे नौ दिवसीय ध्यान मनोयोग साधना शिविर का रविवार को समापन हुआ। प्रातः कालीन सत्र विद्या मंदिर के क्रीड़ा स्थल में हुआ, जिसमें साधकों को विशेष प्रकार की क्रीडा संबंधी क्रियाओं से वर्तमान में किस प्रकार हम बच्चों की तरह भागीदारी करके अपने जीवन में खुशहाली ला सकते हैं, इसका प्रायोगिक अभ्यास कराया गया। इन क्रीडा संबंधी गतिविधियों से साधकों ने काफी उत्साहित एवं ऊर्जावान महसूस किया। तपस्वी चैतन्य गुरु ने खेल संबंधी गतिविधियों से अनुशासित जीवन एवं वर्तमान में जीवन जीने की कला सिखाई। 

इस अवसर पर साधकों को लाफिंग एक्सरसाइज एवं आई एक्सरसाइज का अभ्यास भी करवाया गया तथा पारंपरिक खेल भी खिलाए गए। तत्पश्चात समापन सत्र में योग के आठवें दिन उपस्थित साधकों को समाधि करने की विधि सिखाई एवं उन्हें समाधि अवस्था में आने का अभ्यास भी कराया गया। उन्होंने बताया कि प्रयोगों द्वारा यह सिद्ध हो चुका है कि लगातार ध्यान मनोयोग साधना से ह्रदय गति को सीमित करते हुए मनुष्य अपने जीवन को दीर्घायु बना सकता है। ध्यान करने से न केवल उत्तम स्वास्थ्य मिलता है बल्कि कई गंभीर बीमारियां भी स्वत: ठीक हो सकती हैं।
  
इसी क्रम में तपस्वी चैतन्य गुरू ने अपने प्रवचन में बताया कि वर्तमान में जीवन जीने से क्या लाभ हैं एवं मनुष्य कैसे चिंतामुक्त एवं तनावमुक्त जीवन जी सकता है। उन्होंने कहा कि बुद्धि का क्षमता में स्थित होना ही समाधि है। मीडिया प्रभारी आरती डंग ने बताया कि आज शिविरार्थियों  का जन्मदिन मनाया गया। सत्र को संबोधित करते हुए चैतन्य गुरुजी ने कहा कि जिस दिन हम जाग जाते हैं। वर्तमान में जीना सीख जाते हैं, उसी दिन हमारा जन्मदिन होता है।
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