रिपोर्ट :- विकास शर्मा

उत्तराखण्ड :- तीर्थ स्थल हरिद्वार में लाखों श्रद्धालु गण अपनी आस्था को लेकर हरिद्वार नगरी आते हैं। इस आस्था नगरी में दिन रात पर्यटकों की आवाजाही के कारण इसे उत्तराखंड का प्रमुख चार धाम का द्वार कहा जाता है।                             
पौराणिक स्थल हर की पौड़ी के कारण  हरिद्वार को विश्व धरोहर का दर्जा दिया गया है। ऐसी ऐतिहासिक जगह पर यात्री अपनी यात्रा रेल तथा बसो तथा अपने निजी  वाहनो के माध्यम से हरिद्वार नगरी आते हैं। जहां करोड़ों रुपए खर्च कर सरकार द्वारा यात्रियों की सुविधा हेतु साधन जुटाए जाते हैं। लेकिन रेलवे स्टेशन में अधिकारियों की मनमानी के चलते यात्रियों को भारी असुविधा का सामना करना पड़ रहा है। करोड़ों लागत से लगाई गई स्वचालित सीढ़ियां मात्र शोपीस बनकर रह गई है। यात्रियों को ऊंचे फूलों पर सीढ़ियो के माध्यम से ही चलना पड़ रहा है। 

जिसके कारण बुजुर्ग व वृद्ध लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। रेलवे स्टेशन पर प्रातः से ही स्वचालित सीढ़ियों को बंद कर दिया जाता है यह मिलीभगत का खेल अधिकारियों और कुलियों की मिलीभगत से चलाया जा रहा है। प्रातः दिल्ली जा रहे यात्री भूषण चावला ने बताया कि उनको हार्ट की शिकायत है तथा उनकी पत्नी भी 65 साल की है जो कि गठिया से पीड़ित है। लेकिन सीढ़ियां बंद होने के कारण उन्हें मजबूरन भारी दामों पर कुली  कर स्टेशन के प्लेटफार्म संख्या 4 पर जाना पड़ रहा है। 

इस बाबत उन्होंने रेलवे कार्यालय में संपर्क कर शिकायत करने  का प्रयास किया। लेकिन कोई भी अधिकारी मौजूद ना होने के कारण उनकी शिकायत को अनसुना कर दिया गया। मौजूदा अधिकारी दूसरे के कार्यक्षेत्र होने का बहाना बनाकर अपना पल्ला झाड़ रहे हैं। कुंभ मेले में करोड़ों रुपए के बजट से लगाए गए स्वचालित सीढ़ियों का यात्रियों को लाभ नहीं मिल रहा। ऐसी अवस्था में हरिद्वार तीर्थ स्थल  के एक ऐतिहासिक स्टेशन का दावा अधिकारियों की लापरवाही के चलते खोखला साबित हो रहा है।
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