रिपोर्ट :- अजय रावत

गाज़ियाबाद :- जैन एकता मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष सतीश जैन एवं राष्ट्रीय प्रवक्ता अजय जैन ने एक बैठक को संबोधित करते हुए कहां सम्मेद शिखर जैन धर्मावलंबियों की आस्था ही नहीं आत्मा में बसता है, जिस पर्वत से क्षेत्र से 20 अरिहंत भगवान निर्वाण को प्राप्त हुए हो जहां से लाखों लाखों मुनिवर साधु भगवंत तपस्या करते करते मोक्ष को प्राप्त हुए हैं। वह पूरा पर्वत और उसका एक-एक कण पूरे विश्व के जैन समाज के लिए वंदनीय है ,पूजनीय है,जैन धर्मावलंबियों की आत्मा है।
          
जिस प्रकार से पिछले दिनों आमरण अनशन,इंडिया गेट पर प्रदर्शन राष्ट्रपति से लेकर सभी निर्वाचित प्रतिनिधियों को पूरे देश में ज्ञापन और अपनी पीड़ा जैन धर्मावलंबियों ने रखी। उससे आगे इस आंदोलन में जैन मुनि राज और साधु भगवंतों के सम्मिलित होने से यह मामला और ज्यादा तूल पकड़ रहा है। जैन समाज केंद्रीय सरकार से उक्त पहाड़ को पवित्र जैन तीर्थ स्थल घोषित करने और इस क्षेत्र को संरक्षित करने की केवल मांग कर रहा है, जो जैन धर्मावलंबियों का हक ही नहीं अधिकार है।
           
इस कड़ी में जयपुर में दो दिगंबर मुनियों ने 4 तारीख और 7 तारीख को अपने जीवन का बलिदान तीर्थराज सम्मेद शिखर को लेकर दिया है जो केंद्रीय सरकार और झारखंड सरकार के दामन पर बदनुमा दाग है। इस देश की आजादी,अर्थव्यवस्था,टैक्स,पाठशाला,कॉलेज,अस्पताल,धर्मशालाएं,गौशाला,प्राकृतिक आपदा में देश का सहयोग करता है। विकट परिस्थितियों में देश के लिए हर प्रकार की सुविधा मुहैया कराने वाले जैन समाज से सरकारें,कोई भी जाति कोई भी गलत फैसला ना करें, जैन समाज ना सत्ता में हिस्सा मांग रहा ना आपसे धनसंपदा मांग रहा केवल अपने तीर्थराज को पवित्र जैन तीर्थ स्थल और उस पहाड़ के पूरे एरिया को केवल संरक्षित करने की मांग कर रहा है।
         
हर रोज मुनियों का बलिदान जहां इन सरकारों के लिए दुखदाई साबित होगा वही पूरे देश के लिए इन बलिदानों के प्रकरण से कोई भी भयंकर स्थिति उत्पन्न हो सकती है।जैन एकता मंच राष्ट्रीय रजिस्टर्ड की पुरजोर विनती है कि इस अति संवेदनशील मामले को ना लटका करके, तुरंत पवित्र जैन तीर्थ स्थल और पूरे पहाड़ के एरिया को संरक्षित करने का काम करें।
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