◼️शांतिकुंज पहुंचे हैं देश विदेश से हजारों गायत्री साधक
रिपोर्ट :- वेद प्रकाश चौहान
उत्तराखण्ड :- हरिद्वार :- प्रसिद्ध आध्यात्मिक संस्थान शांतिकुंज में इन दिनों देश-विदेश से हजारों गायत्री साधक सामूहिक साधना कर रहे हैं। सर्वे भवन्तु सुखिनः के भाव चल रहे इस आध्यात्मिक अनुष्ठान के अवसर पर शांतिकुंज में मुख्य सभागार में जुटे साधकों को संबोधित करते हुए देवसंस्कृति विवि के प्रतिकुलपति डॉ. चिन्मय पण्ड्या ने कहा कि नवरात्र आध्यात्मिक विकास हेतु पात्रता, योग्यता बढ़ाने का सुनहरा अवसर है और अपने अंदर छिपे देवत्व को जगाने का सर्वोत्तम समय है। इस समय मनोयोगपूर्वक साधना करने वाले साधकों में दैवीय अनुदान बरसता है और नई चेतना का संचार होता है। जिससे साधक का व्यक्तित्व प्रखर होता है।
राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अनेक प्रतिष्ठानों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले डॉ. चिन्मय पण्ड्या ने कहा कि सद्गुरु के अनुशासनों का पालन करने से शिष्य का कल्याण होता है। अंतर्राष्ट्रीय सामाजिक आध्यात्मिक मंच के निदेशक डॉ. चिन्मय पण्ड्या ने कहा कि इन दिनों सांस्कृतिक परिवर्तन की नई गाथा लिखी जा रही है। इसमें भारत का स्वाभिमान, संस्कृति आदि को नये सिरे से लिखा जाना है। डॉ. चिन्मय जी ने युगधर्म का स्मरण कराते हुए विभिन्न कथानकों का उल्लेख किया।
इससे पूर्व संगीत विभाग के कलाकारों ने साधनात्मक मनोभूमि को ऊँचा उठाने वाला प्रेरक गीत प्रस्तुत किया। उल्लेखनीय कि भारत के विभिन्न राज्यों के अलावा यूएसए, कनाडा, यूके, दुबई, आस्ट्रिया आदि देशों से अनेक गायत्री साधक शांतिकुंज पहुंचे हैं और वे अपने आत्मिक विकास के लिए सामूहिक साधना में जुटे हैं। इन दिनों नियमित त्रिकाल संध्या के दौरान सामूहिक जप एवं विशेष सत्संग का क्रम चलाया जा रहा है।
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साधना से परब्रह्म की प्राप्ति संभव ः डा. पण्ड्या
हरिद्वार 28 मार्च।
देवसंस्कृति विश्वविद्यालय में कुलाधिपति श्रद्धेय डॉ. प्रणव पण्ड्या ने कहा कि मनोयोगपूर्वक की गयी सात्विक साधना में इतनी शक्ति होती है कि साधक को परब्रह्म की प्राप्ति हो सकती है। कुलाधिपति श्रद्धेय डॉ. पण्ड्या देवसंस्कृति विश्वविद्यालय में आयोजित नवरात्र साधना सत्संग शृंखला के सातवें दिन देश विदेश से आये गायत्री साधकों एवं देसंविवि के युवाओं को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि मनु, सतरूपा, स्वामी रामकृष्ण परमहंस आदि ने कठोर तप, साधना से विशेष शक्तियाँ प्राप्त की थी। परमात्म से मिलन का उपाय साधना, उपासना को बतलाया गया है। किन्तु यह उपाय भी तभी सफल होते हैं जब इनमें भी अटूट श्रद्धा, समर्पण हो। यह श्रद्धा, भक्ति, आस्था, विश्वास आदि किसी रूप में भी हो सकता है। श्रद्धा से रहित कोई भी साधना सफल नहीं हो सकती। प्रेम की व्याकुलता ही परमात्मा से मिलाने में समर्थ है। इससे पूर्व ‘मेरे घटवासी राम....’ सुमधुर गीत से संगीत विभाग ने साधकों के मन को भावविभोर कर दिया।