रिपोर्ट :- अजय रावत
गाज़ियाबाद :- क्षेत्रीय शिशु वाटिका प्रशिक्षक प्रशिक्षण कार्यशाला के दूसरे दिन प्रत्यक्ष शिशु वाटिका क्रियाकलाप में नन्हे-मुन्ने छात्रों ने पर्यावरण संरक्षण का संदेश देते हुए एक लघु नाटिका की प्रस्तुति की। छात्रों ने अपने आप ही सरस्वती वंदना की। वाद्ययंत्रों जैसे तबला ,हारमोनियम ढोलक, मंजीरा आदि के द्वारा संगीतमय वंदना ने सबका मन मोह लिया। उसके पश्चात पर्यावरण संरक्षण पर एक लघु नाटिका प्रस्तुत की गई।
इसके द्वारा प्रकृति में पेड़ों का महत्व समझाया गया।
सूर्य और प्रकृति के आपस में संबंध जोड़ते हुए छात्रों को सूर्य अर्घ्य देने का प्रेक्टिकल कराया गया और उसके लाभ बताए गए। रत्नगर्भा धरती माता के गर्भ से बच्चों ने खोद खोद कर सोना ,चांदी ,हीरे जवाहरात आदि पदार्थ निकालने का मंचन किया।इसके पश्चात छात्रों ने कंधे पर वजन रखकर दौड़ लगाई गई। इसमें 15 बच्चों ने प्रथम ,द्वितीय ,तृतीय स्थान प्राप्त किया। प्रशिक्षक प्रशिक्षण कार्यशाला में भाग ले रही महिला आचार्यों ने भी इस दौड़ में भाग लिया।
शिशु शिक्षा समिति के प्रदेश निरीक्षक श्री शिवकुमार शर्मा ने बताया कि छात्रों को पढ़ाई के साथ-साथ खेलकूद और प्रकृति से जोड़ने का विद्या भारती का प्रकल्प है। जिससे प्रत्यक्ष क्रियाकलापों के माध्यम से छात्रों के अंदर आत्मनिर्भरता तथा प्रकृति संरक्षण और पेड़ पौधों के प्रति प्रेम का भाव जागृत होगा। उसके पश्चात पंचपदी शिक्षण पद्धति और मूल्यांकन के बारे में आचार्यों को बताया गया ।
शिशु वाटिका में शैक्षिक व्यवस्था एवं शिशु का समग्र विकास के बारे में अखिल भारतीय शिशु वाटिका की संयोजिका नम्रता ने उदबोधन किया।
क्षेत्र संयोजिका सुधा बानाजी के द्वारा प्रोजेक्टर के माध्यम से पीपीटी प्रेजेंटेशन के द्वारा भी सरल और भावपूर्ण तरीके से शिक्षिकाओं को शिक्षण कौशल को समझाया गया।
क्षेत्रीय शिशु वाटिका प्रशिक्षक प्रशिक्षण कार्यशाला के अवसर पर विद्यालय में शिशु के शीघ्र बोधगम्य तरीके से शिशु को सहायक सामग्री व की एल एम के माध्यम से किस प्रकार से विषय ज्ञान कराया जाए, इसके लिए प्रदर्शनी का भी आयोजन किया गया है। प्रदर्शनी में भाषा गणित आदि के टीएलएम न सहायक सामग्री आदि को प्रदर्शित किया गया है।