◼️ भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने यशोदा सुपर स्पेशियलिटी की प्रबंध निदेशक डॉ उपासना अरोड़ा से आदिवासी महिलाओं के बीच सिकल सेल और सर्वाइकल कैंसर के विरुद्ध अभियान चलाने को कहा




रिपोर्ट :- अजय रावत

गाज़ियाबाद :-  यशोदा सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल, कौशांबी की प्रबंध निदेशिका एवं सीईओ डॉ उपासना अरोड़ा ने बुधवार को राष्ट्रपति भवन जाकार भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात की। इस मुलाक़ात के दौरान राष्ट्रपति ने आदिवासी जनजातीय महिलाओं में बहुतायत में पाई जाने वाली बीमारी सिकल सेल एनीमिया से महिलाओं को मुक्त कराने का अभियान चलाने की बात की। डॉ उपासना ने राष्ट्रपति को इस हेतु यशोदा हॉस्पिटल कौशाम्बी की तरफ से डॉक्टरों की टीम द्वारा पूरी तरह से लड़ने के लिए अपनी प्रतिबद्धता जाहिर की। सिकल सेल एनीमिया खून की कमी से जुड़ी एक बीमारी है। इस आनुवांशिक डिसऑर्डर में ब्‍लड सेल्‍स या तो टूट जाती हैं या उनका साइज और शेप बदलने लगता है जो खून की नसों में ब्‍लॉकेज कर देता है। सिकल सेल एनीमिया में रेड ब्‍लड सेल्‍स मर भी जाती हैं और शरीर में खून की कमी हो जाती है। 

डॉ उपासना ने बताया कि राष्ट्रपति महिलाओं में होने वाली सर्विकल कैंसर की बीमारी को लेकर काफी चिंतित हैं और इससे भी लड़ने के लिए डॉ उपासना ने हर संभव प्रयास की पेशकश की। लगभग 25 मिनट तक चली बैठक में नारी सशक्तिकरण एवं उत्थान हेतु कई मुद्दों पर चर्चा हुई। विश्व के विभिन्न देशों से उदाहरण लेते हुए भारत की महिलाओं को भी पुरुषों के समान अधिकार दिलाने एवं सम्मान, सुरक्षा और रोज़गार के अवसर दिलाने के प्रति बल दिया। 
डॉ उपासना ने बताया कि उनकी राष्ट्रपति से अपने व्यक्तिगत जीवन के बारे में भी चर्चा हुई क्योंकि उनका जीवन काफी संघर्षमय रहा है और इसी तरह राष्ट्रपति मुर्मू भी काफी संघर्षों के बाद आज इस मुकाम पर  पहुंची है इस बारे में दोनों ने अपनी समान परिस्थितियों के बारे में विचार साझा किये l

समाज की सशक्त महिलाएं कमजोर महिलाओं का हाथ थामें, इस पर डॉ उपासना ने राष्ट्रपति से चर्चा की और डॉ उपासना ने राष्ट्रपति को यह आश्वसन भी दिया है कि भविष्य में महिलाओं के लिए होने वाले  अभियानों में अग्रणी होकर हिस्सा लेंगी l

डॉ उपासना अरोड़ा ने कहा कि भारत में महिलाएँ देश की आबादी का लगभग आधा हिस्सा हैं। यह आधी आबादी अमूमन शोषण तो कभी अत्याचार के मामलों से पीड़ित रहती है। ऐसे में आज आवश्यकता है कि हम महिलाओं की समानता की बात करें क्यों कि समानता का होना बेहद ज़रूरी है। यह भी किसी से छिपा नहीं है कि देश में आधी आबादी अभी भी हाशिये पर है। यह स्थिति तब है, जबकि जितनी भी महिलाओं को जिस छेत्र में भी निचले पायदान से ऊपरी पायदान तक जितना भी और जब भी मौका मिला, उन्होंने अपनी योग्यता और क्षमताओं का लोहा मनवाया है।
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