पहले भी मुस्लिम और दलित सांसद रहे है

इंडिया गठबंधन से मुस्लिम उम्मीदवार होने से मुस्लिम वोट में बिखराव न के बराबर होगा



रिपोर्ट :- अजय रावत

गाजियाबाद :- गाज़ियाबाद लोकसभा में मुस्लिम और दलित लगभग 13 लाख के आसपास है जिसमे दलित मुस्लिम से कुछ ही अधिक है। लोकसभा चुनाव में दलित मुस्लिम वोटरों  का गठजोड़ या फिर अलग अलग होते हुए भी निर्णायक भूमिका में होते है। मायावती अगर इंडिया गठबंधन में से बाहर रहेंगी तो उम्मीदवार 3 होंगे अगर इंडिया गंठबंधन में होगी तो उम्मीदवार 2 यानी एक भाजपा और उसके मुकाबले 1 विपक्षी एकता का होगा। इस समीकरण के हिसाब से गाज़ियाबाद लोकसभा में लगभग 6 लाख से अधिक मुस्लिम मतदाता इंडिया गठबंधन के लिए बड़ी निर्णायक भूमिका में होगा। मुस्लिम लोकसभा चुनाव में लगभग न्यूनतम  60 फीसदी मतदान करता है तो लगभग 4 लाख 50 हज़ार के आसपास मतदान करेगा। मतलब साफ है इंडिया गठबंधन का उम्मीदवार बिना मेहनत करे 4 लाख वोट से अपनी गिनती प्रारम्भ करेगा। 

नसीम खान ने कहा कि इसी समीकरण और बात को समझते हुए कांग्रेस से कुछ ऐसे उम्मीदवार बाहर निकले है जोकि पिछले 5 साल से घरो में कैद थे। वे अचानक बिना संगठन को विश्वास में लिए हुए अपने परिचितों से ऐसे मिल रहे है जैसे कांग्रेस उन्हें उम्मीदवार घोषित कर चुकी है। जबकि अपने आप को कांग्रेस उम्मीदवार समझने वाले तथाकथित कांग्रेस नेतागण कांग्रेस द्वारा जनपद स्तर पर दिए जा रहे कार्यक्रमो में नदारद रहते है। आश्चर्य तो ये भी है कि गाज़ियाबाद में होने वाले कार्यक्रमो में राष्ट्रीय सचिव , प्रदेश अध्यक्ष और प्रांतीय अध्यक्ष के मुख्य अतिथि होने के बाद भी टिकेट के लिए उत्सुक दिखाई दे रहे। नेता उक्त कार्यक्रमो में नही आकर संगठन के शीर्ष नेताओं को ठेंगा दिखाते रहे है। 

उन्होंने कहा कि जिस समीकरण के चक्कर मे ये कुवे से बाहर निकल रहे है जबकि वो समीकरण केवल मुस्लिम और दलित उम्मीदवार के मैदान में आने से मजबूती की ओर बढ़ता दिखाई देता है। इसकी बड़ी वजह है कि अगर मायावती गठबंधन से बाहर रहती है तो इंडिया गठबंधन से जिस किसी भी पार्टी को गाजियाबाद लोकसभा सीट मिलेगी उसे मुस्लिम उम्मीदवार उतारने पर बड़ा फायदा मिलेगा अगर गैर मुस्लिम उम्मीदवार मैदान में आएगा तो मायावती अपनी पार्टी से मुस्लिम उम्मीदवार मैदान में लाएगी जिस कारण मुस्लिम अपने धर्मिक और जातीय उम्मीदवार को पहली पसंद बनाएगा। जिस कारण इंडिया गठबंधन के गैर मुस्लिम उम्मीदवार को बड़ा नुकसान होगा और भाजपा भी इसी समीकरण को पसंद करेंगी मेरे इस तर्क को मजबूती गाजियाबाद मेयर चुनाव के उम्मीदवार के धर्म और वोट का समीकरण मजबूती देता है। जिसमे समाजवादी और कांग्रेस के गैर मुस्लिम शिक्षित मजबूत उम्मीदवारों को मायावती के गैर चर्चित अशिक्षित मुस्लिम उम्मीदवार ने दलित और मुस्लिम मतदाताओं के समीकरण ने पछाड़ दिया था। 

इसी के मुकाबले अगर इंडिया गठबंधन में मायावती शामिल होती है तो गाज़ियाबाद लोकसभा में मुस्लिम उम्मीदवार से अधिक प्रभावी दलित उम्मीवार होगा क्योंकि इसी समीकरण के अनुसार मुस्लिम वोट में बिखराव नही के बराबर होगा क्योंकि इस समीकरण के बाद मुस्लिम मतदाताओ के पास कही और जाने का रास्ता ही नही बचता है और दलित उम्मीदवार होने से 13 लाख दलित मुस्लिम मतदाताओं के मतदान के अनुसार लगभग 6 लाख 50 हज़ार वोट एक मुस्त गठबंधन के उम्मीदवार को मिलेगा बहुत से लोग तर्क देते है कि गाज़ियाबाद लोकसभा में गैर  भाजपा दलों में  ब्राह्मण और वैश्य ही प्रभावी उम्मीदवार होते है तो उन लोगो को समझना चाहिए कि इसी लोकसभा में मुस्लिम और दलित सांसद चुनकर सदन में पहुंच चुके है वैसे भी  संगठन और चुनावी राजनीति में मुस्लिम और दलित मतदाता लंबे समय से ब्राह्मण , वैश्य और पिछड़े वर्ग का साथ देते रहे है अब बहुत से लोग दबी जुबान में कहते दिखाई देते है कि अब वैश्य , ब्राह्मण और पिछड़े वर्ग को दलित और मुस्लिम को राजनीति में जगह देनी चाहिए
Previous Post Next Post