◼️हरिद्वार के परम संत आत्माराम ने भक्तों को कराया भागवत कथा का श्रवण



रिपोर्ट :- अजय रावत

गाजियाबाद :- नगर के गुलमोहर एन्क्लेव स्थित श्री शिव बालाजी धाम मन्दिर के प्रांगण में सभी हरि भक्तों के सौजन्य से आयोजित भागवत कथा के दूसरे दिन हरिद्वार से आये परम संत आत्माराम महाराज के श्रीमुख से अमरकथा और शुकदेव जन्मोत्सव की कथा सुनाई गई। कथाव्यास संत आत्माराम महाराज ने कथा में बताया कि श्रीमद् भागवत की कथा ही अमर कथा है। भगवान शिव ने पार्वती को अमर कथा सुनाई। इसी बीच शुकदेव भी यह कथा सुनने लगते हैं। जब शिवजी ने यह देखा कि शुकदेव तोते के रूप में कथा सुन रहे थे तो उन्होंने क्रोध में त्रिशूल उठाया और शुकदेव पर चला दिया। शुकदेव वहां से भागे और वेद व्यास की पत्नी पिंगला के पेट में चले गए। 12 वर्ष तक शुकदेव पिंगला के गर्भ में रहे। व्यास ने प्रार्थना की तब शुकदेव ने कहा कि मैं बाहर तब आउंगा जब मुझे ये वचन मिल जाए कि भगवान की माया मुझ पर हावी नहीं होगी। इसके बाद जब शुकदेव प्रगट हुए और थोड़े समय के बाद वे भगवान कृष्ण का चिंतन करते-करते स्वयं कृष्ण स्वरूप ही हो गए। कथा व्यास ने बताया कि महापुराण में श्रीकृष्ण के 22 अवतारों का वर्णन है।

उन्होंने बताया कि भक्तों का कल्याण करने के लिए भगवान विविध रूप धारण करते हैं। तभी तो भागवत महापुराण में भगवान श्रीकृष्ण के बाइस अवतारों का वर्णन किया गया है। श्रीमद् भागवत श्रवणीय ग्रंथ है। अगर मनुष्य भागवत की कथा श्रवण करें तो निश्चित ही उसका मन भगवान श्रीकृष्ण में लग जाएगा और उसके समस्त पाप नष्ट हो जाएंगे। एक बार हिरण्याक्ष ने ब्रह्मा को कठिन तप करने के बाद प्रसन्न कर लिया। उसके कठिन तप से ब्रह्माजी खुश हुए और प्रकट हुए। हिरण्याक्ष ने भगवान ब्रह्मा से वरदान मांगा कि उसे न ही कोई आदमी न ही कोई भगवान । सोसायटी के सैकड़ों लोगों ने भागवत कथा का श्रवण किया।
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