रिपोर्ट :- अजय रावत

गाज़ियाबाद :- ज्ञान पीठ केन्द्र 1, स्वरूप पार्क जी0टी0 रोड साहिबाबाद के परिसर में महर्षि बाल्मीकी जयंती का आयोजन लोक शिक्षण अभियान ट्रस्ट द्वारा किया गया, कार्यक्रम की अध्यक्षता ड़ा0 देवकर्ण चौहान, आयोजन इंजी0 धीरेन्द्र यादव ने किया, संचालन श्रमिक नेता अनिल मिश्र ने किया, मुख्य वक्ता राम दुलार यादव समाजवादी चिंतक भी कार्यक्रम में शामिल रहे| विनोद त्रिपाठी ने गीत प्रस्तुत किया, महर्षि बाल्मीकी की जय के उद्घोष से आकाश गूंज उठा, कार्यक्रम में शामिल साथी, विद्वान गणों ने महर्षि बाल्मीकी जी के चित्र पर पुष्प अर्पित कर उन्हे स्मरण किया, उनके द्वारा बताये मार्ग पर चलने का संकल्प लिया।
        
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए शिक्षाविद राम दुलार यादव ने कहा कि महर्षि बाल्मीकी द्वारा रचित रामायण महाकाव्य अद्भुत ग्रंथ है, राम के चरित्र का गुणगान करने वाले देश में जितने कवि और लेखक है यहीं से सामाग्री ले साहित्य को सबल बनाने में योगदान दिया, साहित्य समाज का दर्पण है, समाज में जो घटित होता है कवि-दृष्टि से वह बच नहीं पाता, वह जन कल्याण के लिए अपनी बात निर्भीकता पूर्वक कहता है, बाल्मीकी जी के बारे में यह प्रचलित है कि उन्होने क्रीड़ारत सारस को बहेलिया द्वारा मारते हुए देखा, उसके प्राण पखेरू उड गए, मादा क्रौंच का करुण क्रंदन सुनकर महर्षि ध्यानावस्था भंग के शिकार हो बहेलिये से कहा कि हे, बहेलिये तूने इस निर्दोष पक्षी को मारा है, तुझे लोक में प्रतिष्ठा प्राप्त नहीं हो सकती, उनके अंदर करुणा और वियोग की स्थिति उत्पन्न हो गयी, वह प्रथम श्लोक संस्कृत साहित्य का पहला श्लोक बना,  24 हजार श्लोकों के साथ रामायण आदि ग्रंथ की रचना आदि कवि ने किया।
               
मा निषाद प्रतिष्ठां त्वमगमः शाश्वतीः समाः । यत्क्रौंचमिथुनादेकमवधी काममोहितम् ।।

लेकिन आज 21वीं सदी में भी पूरा विश्व तपती भट्टी में सुलग रहा है, चारों ओर नफरत, असहिष्णुता, द्वेष का वातावरण बन रहा है, हमारे देश में ही मणिपुर जल रहा है, बहनों, बेटियों की इज्जत से खिलवाड़ हो रहा है, देश में अनेकों दर्दनाक घटनाएँ हो रही है, लेकिन हममे करुणा, दया लेश मात्र भी परिलक्षित नहीं होता, जबकि महर्षि ने पक्षी के करुण क्रंदन से इतना दुखी हुए कि उन्होने जो कहा हमे उसे समझने की आवश्यकता है, तभी मानवता बच सकती है, और संसार अमानवीय कृत्य से बच सकता है।
    
कार्यक्रम में प्रमुख रूप से शामिल रहे,  राम दुलार यादव, एस0एन0 जायसवाल, भाटी जी विजय, कृष्ण कुमार दीक्षित, ओम प्रकाश अरोड़ा, विनोद त्रिपाठी, रामेश्वर यादव, लक्ष्मी नारायण सहगल, मुनीव यादव, सम्राट सिंह यादव, ड़ा0 देवकर्ण चौहान, अनिल मिश्र, के0 के0 सिंह, हरेन्द्र यादव, फूलचंद पटेल, गुड्डू यादव, इंजी0 धीरेन्द्र यादव, हरिशंकर यादव, प्रेमचंद पटेल, राम नयन यादव, हाजी मोहम्मद सलाम, खुमान, दिलशाद आदि।
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