रिपोर्ट :- अजय रावत
गाजियाबाद :- रिपब्लिक क्रॉसिंग विश्व ब्रह्मऋषि ब्राह्मण महासभा के तत्वाधान में भगवान परशुराम के जन्मोत्सव के शुभ अवसर पर विप्र शिरोमणियों की जनसभा कर विशाल भंडारे का आयोजन किया गया जिसका नेतृत्व विश्व ब्रह्मऋषि ब्राह्मण महासभा के नवनियुक्त युवा जिला अध्यक्ष देव पंडित द्वारा आयोजित किया गया कार्यक्रम के मुख्य अतिथि विश्व ब्रह्मऋषि ब्राह्मण महासभा के पीठाधीश्वर ब्रह्मऋषि विभूति बीके शर्मा हनुमान के कार्यक्रमों द्वारा भंडारे का शुभारंभ किया गया नव नियुक्त युवा जिला अध्यक्ष देव पंडित सहित पूरी टीम द्वारा ब्रह्मऋषि विभूति बीके शर्मा हनुमान एवं अति विशिष्ट अतिथि उदय कौशिक अध्यक्ष कैलाश मानसरोवर भवन,पंडित मुकेश शर्मा ब्लॉक प्रमुख, मयंक गोयल भाजपा नेता, पंडित कृपाराम शर्मा, पंडित मनोज शर्मा, पंडित जयनंद शर्मा,देवेंद्र त्यागी, आशीष शर्मा, भागमाल पंडित, जगदीश शर्मा, पंकज शर्मा,को पगड़ी पहनकर पुष्प गुच्छ अंग वस्त्र देकर भव्य स्वागत किया गया।
विश्व ब्रह्मऋषि ब्राह्मण महासभा के पीठाधीश्वर ब्रह्मऋषि विभूति बीके शर्मा हनुमान ने बताया कि भगवान परशुराम के पिता का नाम जमदग्नि और माता का नाम रेणुका था। भगवान परशुराम अत्यंत क्रोधी स्वभाव के थे। इनके क्रोध से देवी-देवता भी थर-थर कांपते थे। धार्मिक मान्यता के अनुसार, एक बार परशुराम ने क्रोध में आकर भगवान गणेश का दांत तोड़ दिया था वहीं पिता के कहने पर उन्होंने अपनी मां को भी मार दिया था। इस दिन भगवान विष्णु के परशुराम अवतार की पूजा करने से शत्रुओं का नाश, शौर्य में वृद्धि और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। भगवान शिव का परशु जिसे फरसा या कुल्हाड़ी भी कहते हैं। यह इन्हें बहुत प्रिय था व इसे हमेशा साथ रखते थे। परशु धारण करने के कारण ही इन्हें परशुराम कहा गया। भगवान परशुराम भगवान शिव और भगवान विष्णु के संयुक्त अवतार माने जाते हैं। भगवान परशुराम को चिरंजीवी रहने का वरदान प्राप्त है जिसके कारण यह आज भी पहाड़ों और जंगलों में वास करते हैं।
ब्रह्मऋषि विभूति बीके शर्मा हनुमान ने संगठन के ऊपर चर्चा करते हुए कहा कि संगठन में बड़ी शक्ति होती है। संगठित परिवार, समाज और संस्था कभी असफल नहीं होते हैं। बुरे वक्त पर केवल समाज ही काम आता है आपसी आत्मीयता, प्रेम, स्नेह, वात्सल्य और एक-दूसरे को सहयोग की भावना से समाज उन्नति कर सकता है। समाज के बड़े, छोटों के प्रति स्नेह और सहयोग का भाव रखें तो समाज के कार्य उत्साह और उमंगता से संपन्न हो पाएंगे।जब दो या दो से अधिक व्यक्ति मिलकर किसी एक उद्देश्य की प्राप्ति के लिए कार्यशील होते हैं तो संगठन की आवश्यकता पड़ती है। उद्देश्य के अल्पकालीन होने से संगठन की आवश्यकता में कमी नहीं आती। यदि कुछ व्यक्तियों को मिलकर भारी वजन उठाना हो तो इस क्षणिक उद्देश्य की पूर्ति के लिए संगठन की आवश्यकता होती है। इस अवसर पर कार्यक्रम मुख्य आयोजन विश्व ब्रह्मऋषि ब्राह्मण महासभा के राष्ट्रीय महासचिव संजीव शर्मा, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष कपिल पंडित, राष्ट्रीय संयोजक राहुल शर्मा, पंडित मनीष शर्मा, आकाश दीक्षित, संजीव त्यागी, राहुल शर्मा, अवनीश त्यागी, विनोद दफ्तरी, विकास पाठक, सर्वेश राय, सहित सैकड़ो विप्र बंधु मौजूद थे।