रिपोर्ट :- अजय रावत 

गाज़ियाबाद :- पौराणिक कथाओं में निर्जला एकादशी का बहुत ही महत्व है ।कहा जाता है कि यदि आप 26 एकादशी में से कोई भी एकादशी का व्रत ना कर सकें  तो निर्जला एकादशी व्रत करने मात्र से ही सारी एकादशियों का फल प्राप्त हो जाता है। कुन्ती पुत्र भीमसेन को वृकोदर कहा गया है। युद्ध में सफलता के लिए और पराक्रम की प्राप्ति के लिए भगवान कृष्ण ने उनको एकादशी व्रत का महत्व बताया। भीमसेन ने भगवान कृष्ण से कहा कि प्रभु कोई ऐसा व्रत बताइए जो जीवन भर में एक बार करने से ही पुण्य प्राप्त हो । क्योंकि आप जानते हैं कि मुझे बहुत भूख लगती है खाना भी मैं बहुत खाता हूं। इसलिए व्रत रखना मेरे बस की बात नहीं है ।भगवान कृष्ण ने कहा कि आप ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी निर्जला एकादशी का व्रत रखो। 26 एकादशियों में से निर्जला एकादशी  का व्रत रखने से संपूर्ण एकादशियों का और अन्य व्रतों का फल मिल जाएगा। इतना महत्व है इस एकादशी का। इसलिए इस एकादशी का नाम निर्जला एकादशी अथवा भीमसैनी एकादशी भी कहते हैं क्योंकि सबसे पहले इसे भीमसेन ने किया था। 

इस बार सठिया गई है एकादशी
लोक कहावत के अनुसार सठियाने का अर्थ होता है बूढ़ा हो जाना। देर से समझ में आना आदि आदि। 
किंतु एकादशी के पर्व को सठिया गई है इसलिकहते हैं क्योंकि एकादशी तिथि की वृद्धि हो गई है ।17 जून को सूर्य उदय से अगले सूर्य उदय तक एकादशी है। क्योंकि इसमें द्वादशी का कहीं भी संयोगनहीं है इसलिए इस दिन एकादशी का व्रत नहीं रखा जाएगा ।
क्योंकि एकादशी अगले दिन मंगलवार को प्रातः 6:24 बजे तक है फिर द्वादशी तिथि आ जाएगी।
एकादशी तिथि द्वादशी विद्धि होने के  कारण एकादशी का व्रत 18 जून मंगलवार को ही रखा जाएगा। सोमवार को और मंगलवार को एकादशी साठ घटी (24 घंटे से अधिक )  से अधिक होने के कारण एकादशी सठिया गई है ऐसा कहा जाता है अर्थात एकादशी की तिथि वृद्धि के कारण इसको एकादशी सठिया गई है, ऐसा कहा जाता है। ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की एकादशी का निर्जला एकादशी नाम इसलिए रखा गया इस दिन बिना कुछ खाए पिए बिना  अन्न जल ग्रहण किये पूरे दिन निराहार ही रहना पड़ता है। अर्थात यह एक दिन की तपस्या के असमान है ।

गर्मी जब 45 डिग्री के पार जा रही हो दिन भी काफी बड़ा हो ,तो निर्जल और निराहार रहना बहुत ही मुश्किल कार्य है ।लेकिन भगवान विष्णु कृपा से भक्ति गण इसको कर लेते हैं इससे उन्हें बहुत ही पुण्य मिलता है ।इस एकादशी के व्रत से। परिवार में शांति वृद्धि होती है और धन-धान्य के क्षेत्र में लाभ मिलता है। एकादशी का व्रत करने से पुण्य लाभ मिलता हैं ।
भगवान कृष्ण के कहने से भीमसेन ने इस एकादशी का व्रत किया था ।इसी कारण महाभारत युद्ध में अपनी पराक्रम से 99 कौरवों का वध किया था अर्थात शत्रुओं को परास्त करने के लिए  भी इस एकादशी का व्रत का महत्व है। प्रातकाल सूर्य से पहले उठकर भगवान विष्णु लक्ष्मी जी का ध्यान करें। और एकादशी व्रत का संकल्प लें। मंदिर में विष्णु भगवान के मूर्ति को प्रणाम कर धूप दीप नैवेद्य आदि से पूजा करें ।सफेद मिष्ठान्न का भोग लगाएं और भगवान विष्णु की पूजा करें। श्री सूक्तम का पाठ ,विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें। गरीबों को, ब्राह्मणों को एवं योग्य पत्रों को जल या जल से बनी वस्तुएं दान करने का बड़ा महत्व है।


आचार्य शिव कुमार शर्मा ज्योतिषाचार्य एवं वास्तु कनसल्टेंट ,गाजियाबाद
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