रिपोर्ट :- अजय रावत
गाज़ियाबाद :- सरस्वती शिशु मंदिर नेहरू नगर गाजियाबाद में विद्या भारती द्वारा निर्धारित विभिन्न आयामों पर पांच दिवसीय कार्यशाला का आयोजन चल रहा है ।
आज श्रीमती नीतू गोयल जी के द्वारा कक्षा प्रबंधन के बारे में विस्तार से समझाया। उन्होंने बताया कि कक्षा के अंदर छात्रों से किस प्रकार से व्यवहार करना है ।ब्लैक बोर्ड व्यवस्था ,सीटिंग अरेंजमेंट, कक्षा की स्वच्छता और सज्जा व्यवस्था आदि समुचित रूप से की जाए ताकि इनका छात्रों पर मनोवैज्ञानिक प्रभाव पड़े।
कक्षा आचार्य अथवा विषय आचार्य को प्रत्येक बालक के मनोविज्ञान को समझना और उनकी सारी परेशानियों को आधार केंद्र मानते हुए उनका समाधान करते हुए शिक्षा देना। उसके पश्चात जो हमें कक्षा प्रबंधन किया है, कक्षा में समय सारणी के अनुसार क्या-क्या कार्य होंगे ,उसमें सहायक सामग्री का भी समायोजन होना चाहिए। अध्यापक जब भी कक्षा में जाए अपने विषय की पूर्ण तैयारी करें और कुछ ना कुछ अपने पाठ से संबंधित टी एल एम अथवा पाठ योजना आदि बना कर ले जाए।
दूसरे सत्र में श्रीमती राखी शर्मा ने शिशु वाटिका में खेल खेल के माध्यम से छात्रों को किस प्रकार से सक्रिय किया जाए, उनके अंदर अंक ज्ञान और अक्षर ज्ञान का समायोजन करें। इस पर प्रैक्टिकल के माध्यम से और आचार्यों के द्वारा क्रियाकलाप कराके भली भांति समझाया।उन्होंने बताया कि शिशु एक कच्ची मिट्टी का समान है।वह 3 वर्ष की आयु के पश्चात विद्यालय में आता है तो उसकी पारिवारिक वातावरण के साथ हर भावना को ध्यान करते हुए उसके साथ व्यवहार करना और उसकी छोटी-छोटी समस्याओं को सुनना और उसका समाधान करना एक अच्छे शिक्षक का दायित्व होता है।
विद्यालय के उप प्रधानाचार्य शिवकुमार शर्मा ने बताया कि शिक्षक कौशल विकास की दृष्टि से ऐसे अहम् बिंदुओं पर काम हो रहा है जिन्हें हम छात्रों से प्रत्यक्ष रूप से जुड़ सकते हैं। चाहे वह व्यवहारिक ज्ञान हो, चाहे पुस्तकीय ज्ञान हो। सबका समायोजन करते हुए छात्रों का सर्वांगीण विकास करना विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान का भी उद्देश्य है। छात्रों को विद्यालय में पारिवारिक, शैक्षणिक, अनुशासन का वातावरण मिले। ताकि वह परिवार का दीपक और राष्ट्र का सूर्य बनकर चमके। इस अवसर पर सभी आचार्य गण उपस्थित थे।