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गाज़ियाबाद :- डॉक्टर बीपी त्यागी अपने लंदन के दौरे से वापस आने पर बताया वे यहां पर वह बधिरता में स्टेम सेल के उपयोग की ट्रेनिंग लेने के लिए पहुंचे थे। उन्होंने अपने इस प्रशिक्षण यात्रा और वर्कशॉप के कुछ तस्वीरें मीडिया के साथ साझा करते हुए बताया कि वो अपने देश के नागरिकों का स्टेम सेल से बहरेपन का इलाज करने के लिए काफ़ी उत्साहित हैं। चिकित्सा के क्षेत्र में स्टेम सेल कितना उपयोगी हो सकता है इसके बारे में जानते है ,आखिरकार यह होता क्या है। 


स्टेम सैल क्या हैं?
स्टेम सेल, अविभेदित कोशिकाएँ होती हैं जिनमें रक्त, तंत्रिका, मांसपेशियों, हृदय, ग्रंथियों और त्वचा कोशिकाओं सहित शरीर की 200 प्रकार की कोशिकाओं में से एक बनने की क्षमता होती है। कुछ स्टेम सैल को शरीर की किसी भी प्रकार की कोशिका बनने के लिए ट्रिगर किया जा सकता है। अन्य कोशिकाएँ पहले से ही आंशिक रूप से विभेदित होती हैं और केवल कुछ प्रकार की ही तंत्रिका कोशिका बन सकती हैं। स्टेम कोशिकाएँ विभाजित होती हैं तब तक और अधिक स्टेम कोशिकाएँ निर्मित करती हैं, जब तक कि वे विशेषज्ञता के लिए ट्रिगर नहीं हो जातीं। फिर जैसे-जैसे उनका विभाजित होना जारी रहता है, वे अधिक से अधिक विशिष्ट होती जाती हैं जब तक कि वे एक प्रकार की कोशिका के अलावा कुछ भी होने की क्षमता खो न दें।

शोधकर्ताओं को उम्मीद है कि पार्किंसन रोग, डायबिटीज़ और रीढ़ की हड्डी की चोट जैसे विकारों से क्षतिग्रस्त या नष्ट हुई कोशिकाओं या टिशूज़ की मरम्मत या उन्हें बदलने के लिए स्टेम सैल का उपयोग किया जा सकेगा। कुछ जीन को ट्रिगर करके, हो सकता है कि शोधकर्ता स्टेम सैल को विशिष्ट बना दें और वे ऐसी कोशिकाएँ बन सकती हैं जिन्हें बदलने की आवश्यकता है।

शोधकर्ता अब तक निम्नलिखित स्रोतों से स्टेम सैल प्राप्त करने में सक्षम हैं:

भ्रूण गर्भनाल रक्त बच्चों या वयस्कों का बोन मैरो स्वनिर्मित प्लुरिपोटेंट स्टेम सैल (वयस्कों में कुछ कोशिकाएँ जिन्हें स्टेम सैल की तरह कार्य करने के लिए बदला जा सकता है) ऐसे में इस बात को लेकर उत्सुकता बनती है की बहरेपन के इलाज में पीआरपी इंजेक्शन के बाद स्टेम सेल रोगियों के लिए एक वरदान साबित होने जा रहा है ।वह स्टेम सेल से इलाज करने वाले गाजियाबाद जिले से पहले डॉक्टर होंगे। डॉ बी पी त्यागी के साथ उनके जूनियर डॉक्टर अर्जुन भी साथ में प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं ऐसी उम्मीद की जा सकती है डॉ बीपी त्यागी के सानिध्य में भारत में अब स्टेम सेल से इलाज करने वाले कुछ डॉक्टरों की सूची तैयार हो जाएगी। 
यह तकनीक़ कोचलीयर इंप्लांट जैसे महँगे ऑपरेशन से छोटे बधिर बच्चों व वयस्कों को बचाएगी जो की काफ़ी महँगा भी है।
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