◼️हिंदी भवन समिति की तरफ से 50 से अधिक विद्यार्थी, शिक्षक सम्मानित
◼️कवियों की रचनाओं पर चार घंटे से अधिक समय तक झूमते रहे श्रोता
◼️हिंदी दिवस पर हिंदी भवन में आयोजित हुआ सम्मान समारोह एवं कवि सम्मेलन
रिपोर्ट :- अजय रावत
गाजियाबाद :- हिंदी भवन समिति की तरफ से लोहिया नगर स्थित हिंदी भवन में आयोजित हिंदी दिवस समारोह एवं कवि सम्मेलन में 50 से अधिक होनहार विद्यार्थियों एवं शिक्षकों को सम्मानित किया गया। कवि सम्मेलन में कवियों की रचनाओं पर श्रोता घण्टों झूमते रहे। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि वरिष्ठ आईएएस अधिकारी भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) के चेयरमैन संतोष यादव थे। उन्होंने कहा कि हिंदी दुनिया भर में बोली जाती है। विशेष के कुल 176 विश्वविद्यालयों में हिंदी पढ़ाई जाती है। जिनमें से अकेले 45 विश्वविद्यालय अमेरिका से हैं।
समारोह की अध्यक्षता सांसद अतुल गर्ग ने की। उन्होंने हिंदी के मर्धावी विद्यार्थियों और शिक्षकों को सम्मान पत्र देकर सम्मानित भी किया। अतुल गर्ग ने कहा कि हिंदी के प्रचार प्रसार के लिए सरकार बहुत कुछ कर रही है। इस कार्य में आम जनमानस को भी सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए।
मुख्य वक्ता फर्रुखाबाद से पधारे साहित्यकार एवं कवि डॉ शिवओम अंबर ने कहा कि हिंदी भारत में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है। देश के कई राज्यों में हिंदी बोली जाती है। खासतौर पर उत्तरप्रदेश, उत्तराखंड, बिहार, झारखंड, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान और हिमाचल प्रदेश में हिंदी भाषा का इस्तेमाल ज्यादा किया जाता है।
आम बोलचाल के लिए भी हिंदी सबसे ज्यादा इस्तेमाल की जाती है। वहीं, बात करें दुनिया की, तो मंडेरिन, स्पेनिश और अंग्रेजी भाषा के बाद हिंदी दुनिया में चौथी सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है। भारत के अलावा कई अन्य देश ऐसे हैं, जहां लोग हिंदी भाषा का इस्तेमाल करते हैं। इन देशों में नेपाल, मॉरीशस, फिजी, पाकिस्तान, सिंगापुर, त्रिनिदाद एंड टोबैगो, बांग्लादेश शामिल हैं।
विशिष्ट अतिथि के रूप में कानपुर से पधारे प्रख्यात कवि डॉ सुरेश अवस्थी ने कहा कि 11वीं शताब्दी की शुरुआत में फारसी बोलने वाले लोगों ने सिंधु नदी के किनारे बोली जाने वाली भाषा को ‘हिंदी’ का नाम दिया था। हिंदी भवन समिति के अध्यक्ष ललित जायसवाल ने कहा कि वर्तमान मोदी सरकार को इस बात का श्रेय जाता है कि 2022 में
संयुक्त राष्ट्र महासभा ने हिंदी भाषा को अपनी भाषाओं में शामिल कर लिया है। यूएन के 1946 में प्रस्ताव में कहा गया है कि यूएन के उद्देश्य को तब तक प्राप्त नहीं किया जा सकता जब तक कि दुनिया के लोगों को इसकी जानकारी नहीं हो जाती। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने पहली बार हिंदी भाषा से जुड़े भारत के प्रस्ताव को मंजूरी दी है। भारत की ओर से ये प्रस्ताव लाया गया था।
सम्मान समारोह के बाद हुए कवि सम्मेलन में विजेंद्र सिंह परवाज़, डॉ प्रवीण शुक्ल, तेज नारायण बेचैन, दिनेश रघुवंशी, राज कौशिक और अंजू जैन के गीत, ग़ज़लों व हास्य रचनाओं पर श्रोता लगभग चार घंटे झूमते रहे। कवि सम्मेलन का संचालन डॉ प्रवीण शुक्ल और सम्मान समारोह का संचालन पूनम शर्मा ने किया। हिंदी भवन समिति के महासचिव सुभाष गर्ग एवं अन्य पदाधिकारियों ने रचनाकारों और अतिथियों का स्वागत किया। मुख्य अतिथि संतोष यादव एवं अन्य अतिथियां ने दीप जला कर कार्यक्रम की शुरुआत की।