रिपोर्ट :- अजय रावत
गाजियाबाद :- आज यहाँ सिविल सोसाइटी ऑफ गाजियाबाद यानी फ्लैट ऑनर्स फेडरेशन,कोरवा यू पी,आर डब्लू ए फेडरेशन,लाइन पार आर डब्लू ए फेडरेशन की तरफ से एक प्रेस वार्ता आयोजित की गई।
फ्लेट ऑनर्स फेडरेशन गाजियाबाद के चैयरमेन कर्नल तेजेंद्र पाल त्यागी ने प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए कहा की गाजियाबाद के ट्रांस हिंडन एरिया का AQI 330 है | यही हाल रहा तो हमारी जिंदगी के कुछ वर्ष बीमार भी होंगे और कम भी होंगे। लेकिन आने वाली पीढ़ी जीवन के सुख भोगने के काबिल ही नहीं रहेगी क्योंकि वायु प्रदूषण का सबसे खतरनाक कण पीएम 2.5 फेफड़ों मे जम जाता है और एक दफा फेफड़े की क्षमता कम हुई तो उसे ठीक करने का वर्तमान मे दुनिया मे कोई तरीका नहीं है | ग्रो होते हुए बच्चों का ऐयर इंटेक ज्यादा होता है इसलिए उनपर वायु प्रदूषण का कहर और ज्यादा पड़ेगा।
कर्नल त्यागी ने दो सुझाव भी दिए :
1. सिविल सोसायटी द्वारा ईटीपी का औचक निरीक्षण:
अधिकांश उद्योगों ने या तो ईटीपी (अपशिष्ट उपचार संयंत्र) स्थापित नहीं किए हैं या उन्हें चलाते नहीं हैं, क्योंकि ईटीपी चलाना, उसे लगाने जितना ही महंगा है। इसलिए, अधिकांश उद्योग अपने परिसर में ही गुप्त रूप से रिवर्स बोरिंग करके अपने अपशिष्टों को जमीन में डाल देते हैं। अपशिष्टों द्वारा ले जाए जाने वाले भारी धातु जैसे क्रोमियम, जिंक, लेड आदि भूमिगत जल में मिल जाते हैं, जिन्हें हैंडपंप के माध्यम से बाहर निकालने पर कई तरह की बीमारियाँ होती हैं। यदि हम प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के साथ मिलकर ईटीपी का निरीक्षण करते हैं, तो यह चलता हुआ पाया जाता है, क्योंकि सूचना पहले ही संबंधित उद्योग को लीक कर दी जाती है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड मे तीन कर्मचारी है और गाजियाबाद मे उद्योगों की इकाइयां 3000 से ज्यादा है यानि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड उद्योगों का निरंतर निरक्षण नहीं कर सकता। सुझाव है की सिविल सोसायटी को ईटीपी के संचालन की औचक जांच करने की अनुमति दी जाए और अपशिष्ट पाइप की फ़्लो मीटर द्वारा लगातार मॉनिटरिंग प्रशासन द्वारा की जाए।
2. वर्टिकल गार्डनिंग:
मेक्सिको सिटी के एक शोध से पता चला था की केवल एक चार मंजिला इमारत के अग्रभाग पर नीचे से ऊपर तक लगाए गए पौधे एक साल में 40 टन जहरीली गैसों को सोख सकते हैं, वायु प्रदूषण में 15 किलोग्राम पार्टिकुलेट मैटर को बेअसर कर सकते हैं (वायु में पीएम 2.5 की सुरक्षित सीमा 60 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर है) और ध्वनि प्रदूषण को 10 डेसिबल तक कम कर सकते हैं। क्या हम फ्लाई ओवर और मेट्रो रेल के खंभों पर और उसके बाद सरकारी इमारतों पर पौधे नहीं उगा सकते? इसके लिए न तो जगह की जरूरत है, न ही बजट की और न ही संविधान में संशोधन की। मेट्रो पिलर पर लगा हुआ 10 इंच का पौधा एक किलोमीटर दूर लगे नीम के बड़े पेड़ से अधिक उपयोगी साबित होगा क्योंकि यह वाहन के एगजोसट पाइप के सामने होगा | यह कार्य तुरंत , द्रढ इच्छा शक्ति के साथ , वरीयता के आधार पर सभी विभागों के सहयोग से किया जाना चाहिए अन्यथा गाजियाबाद के लोगों की जिंदगी बीमार भी होती रहेगी और कम भी होती रहेगी। इतना ही नहीं आने वाली पीढ़ी जिंदा तो रह सकती है परंतु जीवन के आनंद नहीं भोग पाएगी।
इस अवसर पर डा आर के आर्या , राज कुमार त्यागी , कवि आर पी शर्मा , नेम पाल चौधरी , मंगल सैन , गौरव सेनानी ज्ञान सिंह , पुनीत गुप्ता , हिमांशु जिंदल , राजीव अग्रवाल , स्वाती बंसल , डा विनीत अग्रवाल उपस्थित रहे।