रिपोर्ट :- अजय रावत 

गाजियाबाद :- इस साल शारदीय नवरात्रि पर्व 3 अक्टूबर से 12 अक्टूबर तक मनाया जाएगा। आचार्य दीपक तेजस्वी ने कहा कि शारदीय नवरात्रि में कलश स्थापना करना सबसे महत्वपूर्ण अनुष्ठानों में से एक होता है।घटस्थापना नवरात्रों की शुरुआत का प्रतीक है। यह अनुष्ठान प्रतिपदा तिथि अर्थात नवरात्र के पहले दिन किया जाता है। इस बार कलश स्थापना के लिए शुभ मुहूर्त 03 अक्टूबर को सुबह 06 बजकर 19  मिनट से सुबह 07 बजकर 22 मिनट तक है। कलश स्थापना के लिए सबसे पहले सुबह उठकर ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करें और साफ़ वस्त्र पहनें। 

पूरे घर को शुद्ध करने के बाद मुख्य द्वार की चौखट पर आम के पत्तों का तोरण लगाएं। पूजा के स्थान को साफ करें और गंगाजल से पवित्र कर लें। अब वहां चौकी लगाएं और माता की प्रतिमा स्थापित करें। दुर्गा मां और गणेश जी का नाम लें। इसके बाद उत्तर और उत्तर.पूर्व दिशा में कलश की स्थापना करें। आचार्य दीपक तेजस्वी ने बताया कि कलश स्थापना के लिए पहले एक मिट्टी के बर्तन में जौ के बीज बोएं। फिर एक तांबे के कलश में पानी और गंगाजल डालें। कलश पर कलावा बांधें और आम के पत्तों के साथ उसे सजाएं। इसके बाद उसमें दूब, अक्षत और सुपारी डालें। उसी कलश पर चुनरी और मौली बांध कर एक नारियल रख दें।  

सामग्री का उपयोग करते हुए विधि. विधान से मां दुर्गा का पूजन करें। दुर्गा सप्तशती का पाठ करें। शारदीय नवरात्रि में देवी दुर्गा की शक्ति के नौ अलग.अलग रूपों की पूजा की जाती है। नवरात्रि के पहले दिन शैलपुत्री, दूसरे दिन ब्रह्मचारिणी, तीसरे दिन चंद्रघंटा, चौथे दिन कूष्मांडा, पांचवे दिन स्कंदमाता, छठवें दिन कात्यायनी, सातवें दिन कालरात्रि, आठवें दिन महागौरी, और नौवें दिन सिद्धिदात्री की उपासना की जाती है। शारदीय नवरात्रि मां दुर्गा द्वारा राक्षस महिसासुर के वध और भगवान राम की रावण पर विजय के रूप में मनाई जाती है।
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