रिपोर्ट :- सिटी न्यूज़ हिंदी


गाजियाबाद :-
      आम आदमी पार्टी की प्रदेश प्रवक्ता तरुणिमा श्रीवास्तव की जुबानी - कक्षा तीसरी की बात है परीक्षा देने के बाद गर्मियों की छुट्टी चल रही थी।अब सारा दिन धमा चौकड़ी मोहल्ले के बच्चों के साथ किया करती थी पड़ोस में जाकर शैतानी करते! घर की माली हालत अच्छी नहीं थी मम्मी भी नौकरी करती थी तो कोई टोकने रोकने वाला नहीं था। उस समय पूरे मोहल्ले में एक आद के घर में ही फ्रिज हुआ करता था। ठंडा पानी पीना होता तो पड़ोस से बर्फ मांग कर ले आते थे बस उस दिन भी बर्फ लेने एक आंटी के घर गई उनका सिलाई का काम था वो ब्लाउस सील कर उठी थी कि मै वहा पहुंच गई मैंने ब्रफ के साथ ब्लाउस तुरपाई के लिए मांगा आंटी बर्फ देते हुए बोली तू अभी बहुत छोटी है तुझसे नहीं हो पाएगा पर मुझे काम सीखना था मैंने कहा आपके सामने ही करूंगी उन्होंने कहा बर्फ घर रख कर जल्दी भाग के आ फिर सिखाऊंगी मै भी झट रख आईं उन्होंने मुझे ब्लाउस देते हुए कहा शुरू कर जो ना समझ आए वो पूछ लेना बस हम भी शुरू हो गए 1 घंटे में पुरा ब्लाउज तुपाई करके पकड़ा दिया एक बार भी नहीं पूछा तुरपाई देख कर आंटी अच्मभित रह गई कुछ नहीं बोला और दो ब्लाउज देकर बोली इसे करके ओर ले आ। अब घर लेकर आ गई खाना खा कर ब्लाउस करने लगी उसे भी शाम तक पूरा कर आंटी को देने गई तो उन्होंने ब्लाउस लेते हुए मेरी हथेली पर 3 रुपए रखते हुए बोली ले बेटा तेरी मेहनत की कमाई मै सकुचाई पर चुप लेकर अपने घर आ गई। थोड़ी देर में मम्मी भी ड्यूटी से लौटी बेग रखते ही किचन में गई तो देखा आटा ख़तम था वो चिंता में पड़ गई आज बच्चे क्या खाएंगे!मै मुस्कुराते हुए उनके पास गई और उनके हथेली पर वो 3 रुपए रख कर बोली ये मेरी पहली कमाई तुरपाई करा तो आंटी ने दिए मम्मी के आंखो मै आंसू थे वो ये ना कह सकी की आपने पास ही रख ले बेटा टॉफी खा लेना उन्होंने बहन को आवाज लगाते हुए बोली जा एक किलो आटा ले आ!!
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