रिपोर्ट :- गजेंद्र सिंह


नई दिल्ली :-
        देश में कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों को देखते हुए दिल्ली विश्वविद्यालय ने फाइनल ईयर के छात्रों के लिए ऑनलाइन ओपन बुक परीक्षा आयोजित करने का फैसला किया है. वहीं कई छात्र, छात्र संगठन और शिक्षक इसका विरोध कर रहे हैं. इसी कड़ी में एनएसयूआई ने भी परीक्षा समाप्त कर छात्रों की पदोन्नति की सिफारिश की थी.

NSUI सोशल मीडिया विभाग के नेशनल वाइस चेयरमैन हर्ष बिसारिया का कहना है कि केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक ने यूजीसी से परीक्षा के दिशा निर्देशों पर पुनर्विचार करने को कहा है. निशंक ने कहा कि यूजीसी जो भी निर्णय लें, उसमें छात्रों की सुरक्षा को ध्यान में रखा जाए. वहीं NSUI सोशल मीडिया विभाग के नेशनल वाइस चेयरमैन हर्ष बिसारिया ने दावा किया है कि अब यूजीसी ने एनएसयूआई की मांग का समर्थन किया है और छात्रों को बिना परीक्षा के पास करने पर सहमति का रुख दिखाया है.


'एनएसयूआई ने कहा दबाव आया काम'

वहीं बिना परीक्षा छात्रों को पास कर देने की बात को लेकर NSUI सोशल मीडिया विभाग के नेशनल वाइस चेयरमैन हर्ष बिसारिया ने बताया कि कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों को देखते हुए छात्रों की सुरक्षा सुनिश्चित कर बिना परीक्षा छात्रों को पास करने को लेकर आवाज़ उठाने वाला एनएसयूआई पहला संगठन रहा. उन्होंने कहा कि परीक्षाओं को समाप्त करने के लिए एनएसयूआई ने एमएचआरडी पर प्रदर्शन किया और ऑनलाइन पिटीशन भी चलाई.साथ ही इस मामले को लेकर वीसी, शिक्षाविदों के साथ चर्चा भी की गई. जिसका नतीजा है कि एचआरडी मंत्री डॉ. निशंक ने यूजीसी को परीक्षा के आयोजन पर पुनर्विचार करने को कहा है. साथ ही कहा कि कोई भी निर्णय लेने से पहले छात्रों की सुरक्षा को प्राथमिकता दी जाए. वहीं हर्ष बिसारिया का कहना है कि अब उनके अभियान को यूजीसी का भी समर्थन मिलता दिखाई दे रहा है. उन्होंने दावा किया है कि यूजीसी समिति ने सिफारिश की है कि महामारी के दौरान छात्रों का आंकलन एनएसयूआई के स्टैंड के आधार पर किया जाए.

कई विश्वविद्यालय के कुलपति को सौंपा था ज्ञापन

NSUI सोशल मीडिया विभाग के नेशनल वाइस चेयरमैन हर्ष बिसारिया ने बताया कि इस अभियान के तहत उन्होंने देश के सभी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को ज्ञापन सौंपा है. विश्वविद्यालय के व्हाट्सएप ग्रुप में भी संदेश भेजा है. यहां तक कि हर राज्य में प्रेस कॉन्फ्रेंस भी आयोजित की है और लिखित याचिकाएं भी दाखिल की है. साथ ही सोशल मीडिया के जरिए कई छात्रों को इसमें भागीदार बनाया है. साथ ही सौंपी गई याचिका में भी दो लाख से अधिक हस्ताक्षर भी लिए गए हैं. उन्होंने कहा कि यूजीसी और एचआरडी में भी उन्होंने याचिका दाखिल की है.

एबीवीपी पर लगाया आरोप

वहीं हर्ष बिसारिया ने कहा कि बिना परीक्षा छात्रों को पास करने का यह मुद्दा अब महाराष्ट्र, एमपी, हरियाणा सहित कई राज्य में राजनीतिक मुद्दा बन चुका है जिस पर एबीवीपी द्वारा विपरीत रूख अपनाते हुए '#स्टूडेंट फॉर एजुकेशन' जैसे ट्रेंड चलाए गए. साथ ही महाराष्ट्र में राज्यपाल के माध्यम से हस्तक्षेप भी किया गया था।
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