रिपोर्ट :- अजय रावत


गाजियाबाद :-
       गुरु पूर्णिमा  के शुभ अवसर पर आज महन्त विजय गिरी जी महाराज ने अपने गुरु श्री महंत नारायण गिरी जी महाराज का पूजन किया। वह उनसे आशीर्वाद लिया। महन्त विजय गिरी जी महाराज ने बताया की संस्कृत में 'गुरु' शब्द का अर्थ है। अंधकार को मिटाने वाला यह दिन बड़ा पवन होता है। अर्थात अंधकार को हटाकर प्रकाश की ओर ले जाने वाले को गुरु कहा जाता है।महाभारत के रचयिता कृष्ण द्वैपायन व्यास का जन्मदिन भी है। वे संस्कृत के प्रकांड विद्वान थे और उन्होंने चारों वेदों की भी रचना की थी। इस कारण उनका एक नाम वेद व्यास भी है। उन्हें आदिगुरु कहा जाता है और उनके सम्मान में गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा नाम से भी जाना जाता है। गुरु को गुरु इसलिए कहा जाता है कि वह अज्ञान तिमिर का ज्ञानांजन-शलाका से निवारण कर देता है। अर्थात अंधकार को हटाकर प्रकाश की ओर ले जाने वाले को 'गुरु' कहा जाता है।
"अज्ञान तिमिरांधश्च ज्ञानांजन शलाकया,चक्षुन्मीलितम तस्मै श्री गुरुवै नमः "
सद्गुरु की कृपा से ईश्वर का साक्षात्कार भी संभव है। गुरु की कृपा के अभाव में कुछ भी संभव नहीं है।
Previous Post Next Post