रिपोर्ट :- अजय रावत


गाजियाबाद :-
       प्राइवेट चिकित्सक वेलफेयर एसोसिएशन के संस्थापक अध्यक्ष बीके शर्मा हनुमान ने कहा की जनसंख्या नियंत्रण पर अनुमान लगाया जा रहा है कि वर्तमान में यह 135 करोड़ को पार कर चुकी है साथ ही वर्ष 2030 तक भारत की आबादी चीन से भी ज्यादा होने का अनुमान है ऐसे में भारत के समक्ष तेजी से बढ़ती जनसंख्या एक बड़ी चुनौती है क्योंकि जनसंख्या के अनुपात में संसाधनों की वृद्धि सीमित है इस स्थिति में जनसंख्या किए लाभांश जनसांख्यिकीय अभिशाप में बदलता जा रहा है इसी स्थिति को संबोधित करते हुए प्राइवेट चिकित्सक वेलफेयर एसोसिएशन के संस्थापक अध्यक्ष बीके शर्मा हनुमान ने इस समस्या को दोहराया है हालांकि जनसंख्या वृद्धि ने कई चुनौतियों को जन्म दिया है किंतु इसके नियंत्रण के लिए कानून तरीका एक उपयुक्त कदम नहीं माना जा सकता भारत की स्थिति चीन के पृथक है तथा चीन के विपरीत भारत एक लोकतांत्रिक देश है जहां हर किसी को अपने व्यक्तित्व व्यक्तिगत जीवन के विषय में निर्णय लेने का अधिकार है ।भारत में कानून का सहारा लेने के बजाय जागरूकता अभियान शिक्षा के स्तर को बढ़ाकर तथा गरीबी को समाप्त करने जैसे उपाय करके जनसंख्या नियंत्रण के लिए प्रयास करने चाहिए। परिवार नियोजन से जुड़े परिवार वालों को आर्थिक प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए तथा ऐसे परिवार जिन्होंने परिवार नियोजन को नहीं अपनाया है। उन्हें विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से परिवार नियोजन हेतु प्रेरित करना चाहिए। बीके शर्मा हनुमान ने कहा कि जनसंख्या नियंत्रण पर उपाय जरूरी है। निम्नलिखित उपायों से जनसंख्या  वृद्धि दर को रोका जा सकता है ।आयु की एक निश्चित अवधि में मनुष्य की प्रजनन दर अधिक होती है यदि विभाग की आयु में वृद्धि की जाए तो बच्चों की जन्म दर को नियंत्रित किया जा सकता है। महिलाओं की आर्थिक स्थिति में सुधार तथा उन्हें निर्णय प्रक्रिया में शामिल करना शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार तथा लोगों के अधिक बच्चों को जन्म देने के दृष्टिकोण को परिवर्तित करना। भारत में अनाथ बच्चों की संख्या अधिक है तथा ऐसे परिवार भी हैं जो बच्चों को जन्म देने में सक्षम नहीं है, ऐसे परिवार वालों को बच्चे गोद लेने के लिए प्रोत्साहित करना, साथ ही अन्य परिवार को भी बच्चों को गोद लेने के लिए प्रेरित करना, इस प्रकार से न सिर्फ अनाथ बच्चों की स्थिति में सुधार होगा बल्कि जनसंख्या में भी नियंत्रण किया जा सकेगा, भारत में विभिन्न कारकों के चलते पुत्र प्राप्ति को आवश्यक माना जाता है, तथा पुत्री के जन्म को हतोत्साहित किया जाता है, यदि लैंगिक भेदभाव को समाप्त किया जाता है तो पुत्र की चाहत में अधिक से अधिक बच्चों को जन्म देने की प्रवृत्ति को रोका जा सकता है। भारतीय समाज में किसी भी दंपत्ति के लिए संतान प्राप्ति आवश्यक समझा जाता है। तथा इसके बिना दंपत्ति को हेय दृष्टि से देखा जाता है, यदि इस सोच में बदलाव किया जाता है तो यह जनसंख्या में कमी करने में सहायक होगा। सामाजिक सुरक्षा तथा वृद्धावस्था में सहारे के रूप में बच्चों का होना आवश्यक माना जाता है ,किंतु मौजूदा समय में विभिन्न सरकारी योजनाओं एवं सुविधाओं के कारण इस विचार में बदलाव आया है, यह कारक भी जनसंख्या नियंत्रण में उपयोगी हो सकता है, परिवार वालों की आर्थिक स्थिति में सुधार लाकर तथा उनके जीवन स्तर को उठाकर जनसंख्या वृद्धि को कम किया जा सकता है। प्राय देखा गया है कि उस जीवन स्तर वाले लोग छोटे परिवार को प्राथमिकता देते हैं। भारत के शहरी करण जनसंख्या वृद्धि के कारण वृत्ता का मानसिक रूप से संबंधित माना जाता है, यदि शहरीकरण को बढ़ावा दिया जाता है तो निश्चित रूप से यह जनसंख्या नियंत्रण में उपयोगी साबित होगा। भारत की जनसंख्या वृद्धि दर ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक है इसका प्रमुख कारण परिवार नियोजन के बारे में लोगों में जागरूकता का अभाव है ।यदि नियोजन द्वारा बच्चों को जन्म दिया जाए तो यह जनसंख्या नियंत्रण का सबसे कारगर साधन हो सकता है ।भारत में अभी भी एक बड़ी जनसंख्या शिक्षा से दूर है इसलिए परिवार नियोजन के लाभों से अवगत नहीं है, विभिन्न संचार माध्यमों जैसे टेलीविजन रेडियो समाचार पत्र आदि के माध्यम से लोगों को विशेषकर ग्रामीण एवं पिछड़े क्षेत्रों में जागरूकता लाने का प्रयास करना चाहिए ऐसे लोगों को विभिन्न माध्यमों से प्रोत्साहन देने का प्रयास करना चाहिए, जो परिवार नियोजन पर ध्यान देते हैं, तथा छोटे परिवार को प्राथमिकता देते हैं।
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