रिपोर्ट :- अजय रावत


गाजियाबाद :-
        भीम आर्मी आजाद समाज पार्टी के वरिष्ठ नेता सतपाल चौधरी ने बताया कि कोई भी सरकार हो,अधिकारी जब गाजियाबाद, नॉएडा मे शासन से पोस्टिंग लेकर आते हैं तो उनकी मानसिकता मुर्गी के सोने के अंडो को गटक लेने की होती है लेकिन खासकर गाजियाबाद के राजनीतिक,सामाजिक,व्यापारिक व अधिवक्ता संगठन जब जब एकजुट होते हैं तो उन्हे एहसास होता है कि मेरठ की 1857 की क्रान्ति के शहीद पूर्वजों के वंशजो से उनका पाला पड़ गया दिखे है। शान्त और मिलनसार प्रवर्ति के इन लोगो को देखकर हालांकि ये वहम कोई भी अधिकारी पाल सकता है लेकिन जब बात कतई स्वाभिमान पर आ जाये तो गाजियाबाद के लोग दलीय और जाति,धर्म और संगठन की दीवार लाँघ कर नौकरशाही का दिमाग ठीक करने को लेकर एकजुट हो जाते हैं। भाजपा हो या कांग्रेस,सपा,लोकदल,बसपा, नई पार्टी बनी आजाद समाज पार्टी हो या कम्युनिस्ट या प्रगतिशील और या आम पार्टी,व्यापार संगठन हों या अधिवक्ता या छात्र और किसानों के संगठन, ऐसे कई अवसर पिछ्ले तीन दशक मे आए हैं जब जनता की नुमाईंदगी करने वालों ने ब्युरोक्रेट्स को उनकी औकात बताई है,यानि कि जो काम सी एम,पी एम और सत्ता नही कर सकी, वो कई मौकों पर गाजियाबाद के जन प्रतिनिधियों ने करके दिखाया है। यहां कई बार कलक्टरैट मे ताले पड चुके हैं,एस एस पी को बे इज्जत और जलील होकर जिले से जाना पड़ा है।
मौजूदा मामला विक्रम जोशी पत्रकार से लेकर बिल्डर विक्रम त्यागी और शासकीय अधिवक्ता रहे जयवीर सिंह पर हुए कातिलाना हमले का है। गाजियाबाद पुलिस का अटीट्यूड और रवैया लोगो को अखर रहा है। दुपहिया वाहनो के चालान,राह चलते लोगों से बद्सलूकी, छुट भईया बदमाशो की गिरफ्तारी करके वाह वाही लूटना और दूसरी तरफ पत्रकार  विक्रम जोशी की चौकी से लेकर एसएसपी तक से शिकायत के बावजूद हत्या हो जाना, शासकीय अधिवक्ता रहे जयवीर सिंह पर कातिलाना हमला, बिल्डर विक्रम त्यागी को ना खोज पाना, लॉक डाउन में व्यापारियों की दुकान लूट लेना,गन पॉइंट पर राहजनी, आखिर ये गाजियाबाद में हो क्या रहा है?  क्या कभी गाजियाबाद के एसएसपी ने जिले के गणमान्य लोगों से बेहतर रिश्ते बनाने की कोशिश की। शहर के मौजिज चिकित्सक बृजपाल त्यागी के स्टाफ के साथ पुलिस के कर्मचारियों ने बदसलूकी की,शिकायत के बावजूद कोई कारवाई नही हुई। ये अन्दर ही अन्दर पनप रहा गुबार है। गाजियाबाद के राजनीतिक,सामाजिक कार्यकर्ता धरने प्रदर्शन कर रहे हैं, सुनवाई जीरो है। कचहरी में धरना चल रहा है, राजनगर एक्सटेंशन में लोग धरने पर हैं, पत्रकार अशांत और असुरक्षित हैं,जिम्मेदार कौन है?  गाजियाबाद की पुलिस!  मंगलवार को तमाम दलो और संगठनो के लोग कचहरी पहुंचे और बैठकर रणनीति तैयार की, 31 जुलाई को सब संगठन गाजियाबाद के पुराने स्व अभिमान को बचाने एक साथ सडक पर उतरेंगे। कचहरी में अधिवक्ता संघर्ष समिति के तत्वावधान में पूर्व बार अध्यक्ष नाहर सिंह यादव के नेतृत्व मे चल रहे धरने में सब संगठनो ने तत्कालीन एसएसपी नवीन अरोड़ा के इसी तरह के एटीटूड पर जनता की ताकत के बल पर हुई बेइज्जत रवानगी की बार बार चर्चा की
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