एक मुद्दत से आरजू थी फुर्सत मिले-- मिली तो इस शर्त पे कि-- किसी से ना मिलो-- शहरों का यूं वीरान होना-- कुछ यूं गजब कर गई-- बरसों से पड़े गुमसुम घरों-- को आबाद कर गई-- यह कैसा समय आया-- कि दूरियां ही दवा बन गई-- जिंदगी में पहली बार ऐसा वक्त आया-- इंसान ने जिंदा रहने के लिए, कमाना छोड़ दिया-- घर गुलजार, सूने शहर, बस्ती-- बस्ती में कैद-- हर हस्ती हो गई-- आज फिर जिंदगी महंगी-- दौलत सस्ती हो गई

 

रिपोर्ट :- सिटी न्यूज़ हिंदी


गाजियाबाद :-
        देश मे कोरोना अपना प्रकोप लगातार बढ़ाता जा रहा है, 7 राज्यों में कोरोना ने भारी टेंशन नागरिकों के बीच बना दी हैं, लगातार मरीजों की संख्या बढ़ने से नागरिक सकते में हैं, और इसमें लोगों की लापरवाही सामने आ रही है, सरकार ने अगर लॉकडाउन से नागरिकों को राहत दी है, तो इसका मतलब यह नहीं है, कि हम कोरोना के प्रति लापरवाह हो जाए, 

अजय गुप्ता ने बताया जनजीवन धीरे-धीरे सामान्य होता जा रहा है, और नागरिकों के मन से कोरोना का खौफ खत्म होता जा रहा है, पर ऐसा नहीं है, लगातार पीड़ित लोगों की संख्या बढ़ना ही देश के लिए खतरनाक है, आम जनता के लिए और लोगों के परिवार के लिए भी हानिकारक है  हमें कोरोना को नजरअंदाज नहीं करना है, बाजारों की भरी चहल पहल से नागरिकों की संख्या से लगता है, नागरिकों के मन से कोरोना का खबर बिल्कुल खत्म हो गया है, जो हम सबके लिए लापरवाह होना, बहुत खतरनाक साबित हो सकता है, हमें इस पर ध्यान देते हुए, इससे सावधानी बरतने की बहुत जरूरत है, बार-बार प्रशासन के आग्रह करने पर भी, हम सभी लोग सोशल डिस्टेंसिंग, मास्क, और दो गज की दूरी का फासला नहीं रख रहे, पर यह अभी बहुत जरूरी है, हमें अपने और अपने परिवार को भी बचाना है, अपने आस पड़ोस वालों को भी, अपने आसपास साफ सफाई का विशेष ध्यान रखते हुए, प्रशासन के कहे अनुसार, पालन करके कोरोना को जड़ से मिटाना है, यह तभी संभव हो पाएगा, जब सब लोग अपना फर्ज कोरोना के प्रति निभाएंगे, सावधानी रखिए, सुरक्षित रहिए, कोरोना की अपने घर में दस्तक होने से बचाएं, 

जय हिंद--- 

अजय गुप्ता प्रदेश सचिव अंतराष्ट्रीय वैश्य महासम्मेलन एवं राष्ट्रीय उपाध्यक्ष उद्योगामंडल
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