सरदार मंजीत सिंह आध्यात्मिक एवं सामाजिक विचारक की कलम से 🖋️


सिटी न्यूज़ हिंदी ✒️


बिस्मिल्लाह हिर रहमान निर रहीम शुरू करता हूं अल्लाह के नाम से जो पूरी दुनिया का रहमान मालिक और रहीम रहम करने वाला है !


गाजियाबाद :-
        दोस्तों यह संसार एक नूर से उपजा है, जब सारी सृष्टि का मालिक एक है सबका पालनहार एक है तो कौन भले कौन मंदे, तभी यह अच्छा या बुरा शब्द कहां से आ गया खुदा ने परमात्मा ने इस सारी सृष्टि की रचना की 

जब जब धरती पर पाप बढा तब तब खुदा ने धरती पर एक पीर नबी एक रोशनी एक गुरु एक देवी देवता का आगमन हुआ, खुदा ने जब जब किसी रोशनी को भेजा उसे रोशनी के आने का मुख्य उद्देश्य धरती पर भेदभाव मिटाना और दुनिया को नई दिशा देना होता रहा !

पीर, नबी, रोशनी, गुरु, देवी देवता जब जब धरती पर आए उन्होंने सत्य के मार्ग पर चलने का संदेश दिया,
निजामुद्दीन औलिया ने कहा संसार में सबसे बड़ा धर्म इंसानियत का है, जो निष्ठा और विश्वास पर आधारित है, निजामुद्दीन औलिया ने कहा सभी धर्म के अवतारों का हमें सम्मान करना चाहिए सभी धर्म बराबर हैं, दूसरे धर्म के अवतारों ऋषि यों को हरगिज बुरा ना कहें,
दोस्तों जिस वक्त श्री गुरु नानक देव जी का जन्म हुआ तो सबसे पहले मुसलमान राय बुला र को अलार्म हुआ, ई धरती पर खुदा ने एक रोशनी को भेजा है, राय बुला र रात 12:00 बजे उठकर गांव की तरफ चल दिया कि बालक का जन्म किसके घर हुआ ढूंढते ढूंढते कालू मेहता के घर पर जन्म लिए बालक को सजदा किया और दुनिया को संदेश दिया यह बालक एक पीर एक नबी गुरु एक रोशनी का अवतार है,

इसी तरह दोस्तों दशम पिता श्री गुरु गोविंद सिंह जी का जब प्रकाश हुआ यानी जन्म हुआ तो सबसे पहले अगर किसी व्यक्ति को अलार्म हुआ तो वो थे भीखन शाह जो उस वक्त अंबाला की धरती पर तपस्या में लीन था, उन्हें अलार्म हुआ कि खुदा ने धरती पर एक पीर को भेजा है,  भी खन शाह ने उगते सूरज को सजदा किया जब शिष्यों ने कहा कि आप उगते सूरज को सजदा कर रहे हैं तब भी खन शाह ने कहा उगते सूरज को नहीं उस पीर को सजदा कर रहा था जिसे खुदा ने भेजा है!

और अंबाला की धरती से चलकर भी खन शाह पटना साहिब की धरती पर पहुंचा और उस रोशनी को सजदा कर दो मिट्टी के कटोरे उनके आगे रख दिए, दशम पिता गुरु गोबिंद सिंह जी जो समय बालक थे ने दोनों ही हाथ दोनों कटोरो पर रख दिए भी खन शाह खुश हुए और कहां पीर दोनों धर्मों के मानने वालों का सम्मान करेंगे !

दोस्तों एक बात की जानकारी बांटना चाहता हूं पंचम गुरु गुरु अर्जन देव जी ने हरमंदिर साहिब दरबार साहिब सचखंड अमृतसर की नीव मियां मीर से रख वाई और उसके चार दरवाजे भी रख वाहे जिसका अर्थ था हरमंदिर साहिब सभी धर्मों का साझा तीर्थ स्थल है यहां कोई भी आ सकता है मियां मीर से नीव रखवा ने का अर्थ था धर्मनिरपेक्षता का सबसे बड़ा मंदिर  पूजा स्थल !
दोस्तों कोई भी धर्म  वैर करना नहीं सिखाता सभी धर्म एक ही शिक्षा देते हैं भाईचारा सभी धर्म अच्छे हैं खराब है तो हम आओ मिलकर सभी धर्मों का सम्मान करें, इस्लाम धर्म कहता है कि अगर आपका पड़ोसी भूखा है तो आपका खाया हराम है, हर धर्म में सेवा को महान बताया
जाओ जाहिद किसी मजलूम के आंसू पो छे तब तुमको पता चलेगा इबादत क्या है किसी मजलूम के आंसू पोछना भूखे को खाना खिलाना सबसे बड़ी सेवा है !

दोस्तों आओ भाईचारे की नींव को मजबूत करें, धार्मिक होना अच्छी बात है मगर सिर्फ धार्मिक होना धार्मिक के साथ-साथ सेवा के क्षेत्र में उतरे निजामुद्दीन औलिया जी ने वचन कहे हमें वही मिलेगा जो हम दूसरों को देंगे.
निजी स्वार्थ और लालच को शामिल ना होने दें, हमेशा दूसरों की मदद करें
जकात करो यानी दान करो
जाति बंधन नहीं, गरीब या यतीम लोगों के मददगार बने निजामुद्दीन औलिया जी ने कहा जो आज हमें मिल रहा है वह हमने पूर्व में बांटा बिना कुछ बांटे हमें कुछ नहीं मिलता

कोई धर्म मजहब आपस में लड़ना नहीं सिखाता, बस अपने भाईचारे को मजबूत करें भाईचारा मजबूत होगा तो राजनीति का असर नहीं आ पाएगा यह विचार मिर्जापुर की सभा में जिसमें लगभग 25 से 30, हजार लोग मौजूद थे कौमी एकता पर यह सभा रात के समय रखी गई थी जिसमें मुख्यत स्वामी अग्निवेश जी, मदनी साहब अन्य मुख्य लोगों में आपका भाई सरदार मंजीत सिंह 20 मिनट के भाषण में जो विचार रखे वह अपने पढ़े इतने मिनट हम बोले उससे जायदा बार तालियां बजी,

इंसान हूं कभी यह दर्द मुझे सोने नहीं देता कभी देखा नहीं जाता,
दुनिया से लड़ भी लूं तू अब मुझे लड़ने भी नहीं देता, 
दुनिया में इतना दर्द  आखिर क्यूं कर फैला दिया,
बहते नीर मेरे मुझे अब तो रोने भी नहीं देता
 
दोस्तों यह आर्टिकल परमात्मा की राह का एक पन्ना है जिसको आपके भाई के द्वारा लिखा गया अगर आप इस आर्टिकल को पढ़ते हैं तो आप परमात्मा की राह से जुड़ते हैं आओ परमात्मा की राह से जुड़े यह देश हमारा है इसका भाईचारा हमें ही मजबूत करना है ताकि आने वाली पीढ़ी मैं खुशबू फैल सके

सरदार मंजीत सिंह आध्यात्मिक एवं सामाजिक विचारक
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