लड्डू के लिए प्रसिद्ध संडीला की पहचान में नया सितारा जुड़ने जा रहा है। भारत सरकार के प्रयासों से अब इंगलैंड की मशहूर रिवाल्वर वेब्ले स्कॉट का उत्पादन उत्तर प्रदेश में हरदोई जिले के संडीला में होने जा रहा है। लखनऊ से करीब 30 किलोमीटर दूर संडीला के इंडस्ट्रियल एरिया के फेज-2 में यह शस्त्र निर्माण फैक्टरी बनेगी। वेब्ले 35 साल बाद देश में दोबारा हाथियार लांच करने जा रही है। देश में हथियार निर्माण करने वाली यह पहली विदेशी कंपनी होगी। वेल्बे स्कॉट एंड स्कॉट ने आर्म्स कंपनी स्याल ग्रुप के साथ करार कर मेक इन इंडिया मुहिम को आगे बढ़ाने का काम किया है।

हैंडगन बनाने की दिग्गज कंपनी ने परियोजना के लिए कानपुर-लखनऊ की आर्म्स कंपनी स्याल मैन्युफैक्चरर्स प्राइवेट लिमिटेड के साथ हाथ मिलाया है। कंपनी नई यूनिट के पहले चरण में अपने .32 रिवाल्वर का निर्माण करेगी। यू.के. कंपनी की यहां बारूद, पिस्तौल, एयरगन और रिवाल्वर बनाने की भी योजना है।



वेब्ले बनाने वाली देश की पहली इकाई 

आर्म्स कंपनी स्याल ग्रुप के निदेशक सुरेंद्र पाल सिंह उर्फ रिंकू ने बताया कि नवम्बर 2020 तक वेब्ले स्कॉट की पहली खेप मार्कीट में आ जाएगी। पश्चिम बंगाल के ईसानगर में 29 से 30 सितम्बर के बीच टैस्टिंग के लिए भेजी जा रही है।


वेब्ले की इनहाउस मैन्यूफैक्चरिंग  

सुरेंद्र पाल सिंह ने बताया कि करार के मुताबिक 49 फीसद शेयर वेब्ले के और 51 फीसद हिस्सेदारी स्याल ग्रुप के पास है। यहां पर गौर करने वाली बात यह होगी कि वेब्ले की इनहाऊस मैन्यूफैक्चरिंग होगी। यानी यहां असैम्बलिंग नहीं बल्कि इसका एक-एक पार्ट संडीला स्थित फैक्टरी में बनाया जाएगा। नवम्बर में लांच होने वाली वेब्ले पिस्टल की मारक क्षमता 40-50 मीटर है। 1887 से 1963 तक वेब्ले स्कॉट का इस्तेमाल की अनुमति केवल ब्रिटेन की शाही सेना, सुरक्षा और कॉमनवेल्थ सदस्यों को थी।

32 रिवॉल्वर की लागत 1.6 लाख रुपए  

डब्ल्यू. एंड एस. उत्पादों के ऑल इंडिया डिस्ट्रीब्यूटर्स स्याल मैन्युफैक्चरर्स के जोगिंद्र पाल सिंह सियाल ने कहा कि सरकार के सहयोग और केंद्र की ‘मेक इन इंडिया’ नीति ने परियोजना को अंतिम रूप देने में मदद की। उन्होंने कहा कि .32 रिवॉल्वर की लागत 1.6 लाख रुपए होगी।
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