रिपोर्ट :- अजय रावत


गाजियाबाद :-
        एक तरफ प्रदेश सरकार जहाँ नारी शक्ति के अभियान चला रही है वहीँ दूसरी तरफ प्रदेश की महिलाओं के उत्पीड़न की खबरें निरन्तर सामने आ रही हैं। न्याय के लिए महिलायें दर-दर भटक रही हैं लेकिन उनकी कोई सुनवाई नही हो रही। गनीमत है कि ऐसी महिलाओं के लिए समाजसेवी संस्थायें काम कर रही हैं जिनसे उन्हें मदद मिल रही है। ऐसी ही एक समाजसेवी संस्था की संस्थापक ने  दूधमुंही बच्ची के वियोग में तड़पती माँ को उसकी बच्ची से मिलाने का कार्य किया। बच्ची का पिता धोखे से सात माह की बच्ची को पत्नी के पास से ले गया था। बच्ची के जाने से तड़पती माँ बच्ची को पाने के लिये दर बदर की ठोकरें खाती रही लेकिन उसकी कोई सुनवाई नही हुई। तब भाग्य ने उसे सामाजिक संस्था चलाने वाली रमा श्रीवास्तव से मिलाया। जिनके अथक प्रयासों से बच्ची फिर से माँ की गोद में खेलने लगी है। 

मूल रूप से प्रतापगढ़ की रहने वाली किरण वर्तमान में अपने भाई के पास खोड़ा कॉलोनी ग़ाज़ियाबाद में रहती है। किरण ब्यूटी पार्लर में ऑन डिमांड कार्य करती है। इसी दौरान लगभग चार वर्ष पहले किरण की मुलाकात राजपाल नामक व्यक्ति से हुई। मूल रूप से जनपद हापुड़ के गढ़मुक्तेश्वर स्थित आदर्श कॉलोनी के रहने वाला राजपाल वर्तमान में कनावनी ग़ाज़ियाबाद में रहता है। करीब एक साल बाद राजपाल एवं किरण के परिजनों की सहमति से दोनों की शादी हो गयी। शादी के कुछ समय बाद ही दोनों में झगड़ा शुरू हो गया। इसी दौरान शादी के लगभग दो वर्ष पश्चात इनके एक पुत्री ने जन्म लिया। किरण ने सोचा शायद पुत्री के जन्म के बाद राजपाल के व्यवहार में थोड़ा परिवर्तन आएगा। लेकिन यह किरण की ग़लतफ़हमी ही साबित हुई। राजपाल गैरज़िम्मेदार पति होने के बाद गैरज़िम्मेदार पिता भी साबित हुआ। उसने अपनी बच्ची को भी प्रताड़ित करना शुरू कर दिया। यहाँ तक की राजपाल ने अपनी बीमार बच्ची का इलाज भी नही कराया। राजपाल के व्यवहार से तंग आकर किरण अपनी बीमार बच्ची को लेकर अपने भाई-भाभी के पास आकर रहने लगी। इसी दौरान राजपाल किरण के पास आया और गोद में खिलाने के बहाने बच्ची को लेकर फ़रार हो गया। राजपाल ने बच्ची को अपने भाई के यहाँ गढ़मुक्तेश्वर पँहुचा दिया। जब किरण को इसका पता चला तो वह दूधमुंही बच्ची के जुदा होने से तड़प उठी। किरण ने बताया कि वह बच्ची को पाने के लिए एक महीने तक खोड़ा थाने से लेकर महिला थाने तक की ठोकरें खाती रही लेकिन उसकी किसी ने मदद नही की। 

इसी दौरान उसने किसी तरह से सामाजिक कार्यकर्ता रमा श्रीवास्तव से संपर्क किया। किरण ने बताया कि मैंने रमा दीदी से बात की तो वो फौरन मदद के लिए तैयार हो गयीं। उन्होंने मुझे गढ़मुक्तेशर भेजा और पुलिस से संपर्क कर मेरी बच्ची को मुझे वापस दिलाने का काम किया। वही मेरे पास वापसी के लिए किराया भी नही था। यह बात मैंने रमा दीदी को बतायी तो उन्होंने ख़ुद गाड़ी का इंतज़ाम करके मुझे खोड़ा पंहुचाया। रमा दीदी ने केवल दो दिन में मुझे मेरी बच्ची से मिलवा दिया। मैं आजीवन उनकी आभारी रहूंगी। जब अपने ही ज़ुल्म कर रहे हों तो ऐसे समय किसी अजनबी का मदद के लिए आना यह बताता है कि दुनिया में अभी इंसानियत ज़िंदा है। 

बच्ची को उसकी माँ से मिलाने वाली रमा श्रीवास्तव ने बताया कि मैं लगभग छह वर्ष से नॉलेज टेक एजुकेशनल एन्ड सोशल वेलफेयर ट्रस्ट चलाती हूँ। दस नवम्बर को किरण नामक महिला ने मिलकर मुझे अपनी व्यथा सुनाई। उसकी दर्दनाक कहानी सुनकर में सिहर उठी। उसने बताया कि उसका पति उसे प्रताड़ित करता है तथा उसकी सात माह की दूध पीती बच्ची को धोखे से उसके पास से लेकर चला गया है। मैंने तुरन्त उसकी मदद करने का फैसला किया। इसके लिए मैं ग़ाज़ियाबाद प्रशासन से लेकर हापुड़ पुलिस कप्तान तक से मिली। मैंने पूरी तरह वैधानिक तरीके का प्रयोग करते हुये बारह नवम्बर को किरण को उसकी बच्ची से मिलवा दिया। हमारी संस्था का प्रयास रहता है कि समाज को शिक्षित करके समाज में फैली बुराइयों को दूर किया जाये। हमारे पास जो भी मदद के लिए आता है हम उसकी यथासम्भव मदद करते हैं। हम भविष्य में भी इसी प्रकार कार्य करते रहेंगे।
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