राकेश टिकैत
  

सिटी न्यूज़ हिंदी.....✍🏻


नई दिल्ली :- यह कोई बात छुपी हुई नहीं है कि सरकार ने पुलिस और खुफिया एजैंसियों द्वारा चेतावनी देने के बावजूद पहले किसानों को गणतंत्र दिवस पर ट्रैक्टर रैली निकालने की अनुमति देने के साथ ही एक सोची -समझी रणनीति के तहत काम किया। 

वहीं यह भी सामने आया है कि सरकार को पता था कि आंदोलन में कुछ शरारती तत्व उपद्रव पैदा करने पर आमादा हैं और लाल किले में जाकर हंगामा कर सकते हैं, जबकि किसान यूनियनें और राकेश टिकैत रिंग रोड पर एक रैली निकालना चाहते थे, वहीं ये शरारती तत्व कुछ नाटकीय करना चाहते थे। उन्हें लगा कि वे इतिहास रच सकते हैं लेकिन परिस्थितियां इसके बिल्कुल उलट हो गईं। दिल्ली के बाहरी इलाके में विभिन्न सीमाओं पर भीड़ कम हो गई है और राकेश टिकैत अकेले ही किले को संभाल रहे हैं। वहीं उनके रोने के पश्चात शायद उन्हें कुछ समर्थन मिला, लेकिन उनको गंभीरता से लेने वाले अधिक नहीं थे, जिसके कारण उनकी स्थिति कमजोर हो गई। 

यह इस पृष्ठभूमि में है कि सरकार ने राकेश टिकैत से निपटने के लिए दोहरी रणनीति का सहारा लिया है, क्योंकि अन्य नेता पहले ही उसे छोड़ चुके हैं। शुक्रवार देर रात और शनिवार को भी केंद्रीय गृह मंत्रालय में एक उच्च स्तरीय बैठक के बाद निर्णय लिया गया कि टिकैत के खिलाफ किसी भी बल का उपयोग नहीं किया जाएगा क्योंकि उनके साथ किसानों की सहानुभूति है। वहीं अब किसानों को किसी भी परिस्थिति में दिल्ली आने की अनुमति नहीं दी जाएगी। रणनीति का एक हिस्सा यह है कि दिल्ली, यू.पी. और हरियाणा पुलिस मिलकर एक मुहिम के तहत धरने पर बैठे किसानों को वहीं रोकने का अभियान चलाएंगी।

वहीं यह भी निर्णय लिया गया कि किसी को भी निर्दिष्ट क्षेत्र से बाहर जाने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। इसके साथ ही, सरकार ने राकेश टिकैत के साथ बैक-रूम चैनल खोले हैं, क्योंकि वह बार-बार कह रहे थे कि वह बातचीत करने के  विरोधी नहीं हैं। भारत के राष्ट्रपति ने संसद के संयुक्त सत्र में अपने संबोधन में कहा कि इन तीनों कृषि कानूनों को लागू करने पर कुछ समय तक के लिए रोक लगा दी है,ऐसा सरकार का महत्वपूर्ण आश्वासन था। वहीं टिकैत भी अब सम्मानजनक हल चाहते हैं।
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