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लखनऊ :- उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से शनिवार को पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अलग अलग खाप पंचायतों के प्रतिनिधियों ने मुलाकात की और अपनी समस्यायें बताईं। तीन कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली और उत्तर प्रदेश सीमा पर पिछले एक सौ दिन से चल रहे आंदोलन को देखते हुये इस मुलाकात को काफी अहम माना जा रहा है। मुख्यमंत्री ने उनकी समस्यायें सुनी और हर संभव सहयोग का आश्वासन दिया।

बता दें कि खाप प्रतिनिधियों के साथ भारतीय जनता पार्टी के कुछ विधायक भी थे। इससे पहले बुढ़ाना के विधायक उमेश मलिक और शामली के विधायक तेजेंद्र निर्वाल के साथ आए खापों के प्रतिनिधियों ने शुक्रवार को भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह और पंचायतीराज मंत्री भूपेन्द्र सिंह चौधरी से उनके आवास पर मुलाकात की थी। उन्होंने बिजली व गन्ने की समस्याएं उठाईं। खापों से प्रतिनिधियों ने कहा कि पश्चिमी यूपी में बिजली की बढ़ी दरें, गन्ना मूल्य भुगतान में देरी और गन्ना मूल्य में वृद्धि नहीं होने से आम किसानों में नाराजगी है। फुगाना थांबा के हरवीर सिंह ने कहा कि जब राजकीय नलकूपों और नहरों से सिंचाई मुफ्त हो सकती है तो किसानों के निजी ट्यूबवैल को बिजली मुफ्त या कम दर पर क्यों नहीं दी जा सकती।

खाप प्रतिनिधियों ने कहा कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में गन्ना मुख्य फसल है। सरकार को गन्ना किसानों की बेहतरी की तरफ ध्यान देना चाहिए। लंबे समय तक किसानों को बकाया भुगतान नहीं मिलता जबकि वे जो खाद, बीज लेते हैं, बैंक से कर्ज लेते हैं, उस पर ब्याज बढ़ता जाता है। बिजली दरें बढ़ने से विद्युत बिलों के भुगतान का संकट खड़ा हो रहा है। भूपेन्द्र चौधरी ने खाप चौधरियों के समक्ष कृषि बिलों को लेकर पक्ष रखा और कहा कि इसमें किसान विरोधी कुछ भी नहीं है। आने वाले समय में निजी क्षेत्र के जरिये ही कृषि निवेश बढ़ाया जा सकता है। नए कृषि कानूनों से बाजार में प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी और किसानों को फसल का ज्यादा रेट मिलेगा।
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