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गाजियाबाद :- हाईकोर्ट के आदेश के बाद शासन ने बुधवार देर रात जिला पंचायत आरक्षण की नई सूची जारी कर दी है। जिला पंचायत अध्यक्ष से लेकर ब्लॉक प्रमुख तक के आरक्षण में कोई बदलाव नहीं हुआ है। पंचायत अध्यक्ष का सीट पहले की तरह अनारक्षित ही रही है। वहीं प्रमुख पदों पर भी दो सीटें आरक्षित की गई हैं जो अनुसूचित जाति व अन्य पिछड़ा वर्ग महिला के लिए आरक्षित हैं। जबकि दो सीटें सामान्य रहेंगी। इससे पहले कयास लगाए जा रहे थे कि आरक्षण में कोई बदलाव हो सकता है। 

जिला पंचायत अध्यक्ष का आरक्षण घोषित होने के बाद अब उम्मीदवारों की नजरें वार्ड आरक्षण पर टिकी हैं। उसी के जरिए तय होगा कि अध्यक्ष पद की दौड़ में कौन शामिल होगा। सीट सामान्य होने से सभी प्रत्याशियों के लिए जोर आजमाइश का खुला मैदान है। अब सभी दिग्गज अपनी किस्मत आजमा सकेंगे। जिले में पंचायत अध्यक्ष की सीट 20 वर्षों में तीसरी वार सामान्य रही है। इससे पहले वर्ष 1995 और 2010 में सीट सामान्य रही थी। जबकि वर्ष 2000 में ओबीसी महिला और 2005 में एससी महिला रही। इसी तरह से वर्ष 2015 में सीट ओबीसी रही थी। 

इस बार कोर्ट के निर्णय के क्रम में पुराने आरक्षण को ही सही माना गया। अब उम्मीदवारों की नजर वार्ड आरक्षण पर लगी हैं, क्योंकि वार्ड से ही जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी तक का रास्ता तय होगा। ऐसी संभावना जताई जा रही है कि वार्ड आरक्षण में भी कुछ ज्यादा फेरबदल नहीं होगा। कुछ वार्डों में आरक्षण के फार्मूले को लेकर आपत्तियां लगी हैं जिनमें आरोप भी लगे। अब संभावना जताई जा रहा है कि वार्ड आरक्षण में फेरबदल होने की स्थिति में पिछले आरक्षण फार्मूले से बाहर हुए कुछ उम्मीदवार भी दौड़ में आ सकते हैं। पंचायत चुनाव को अगले वर्ष होने वाले विधान सभा चुनावों के रिहर्सल के तौर पर देखा जा रहा है। जिले में भाजपा काफी समय से पंचायत चुनाव की तैयारियों में लगी है। वहीं बसपा और राष्ट्रीय लोकदल की नजर भी चुनाव के जरिए बड़ा उलटफेर करने पर लगी हैं।
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