रिपोर्ट :- वेदप्रकाश चौहान


हरिद्वार :- श्रीपंचदशनाम जूना भैरव अखाडा माया पुरी हरिद्वार उत्तराखंड मे सायंकाल श्रीपंच दशनाम अखाड़े की महासभा की आपात बैठक में कुम्भ मेला 2021 के विसर्जन की घोषणा कर दी गई है ,श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़ा के अन्तराष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमहन्त प्रेम गिरि जी महाराज की अध्यक्षता तथा अन्तराष्ट्रीय संरक्षक श्रीमहन्त हरि गिरि जी  महाराज के संचालन में वैश्विक महामारी कोरोना के बढ़ते प्रकोप तथा कुम्भ मेले में सामुदायिक संक्रमण के फेलने की आशंका को देखते हुए सर्वसम्मति से कुम्भ मेला को विसर्जित करने का निर्णय लिया गया है  
श्रीमहन्त हरि गिरि जी महाराज ने बताया कि इस सदंर्भ में आज प्रातःकाल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तथा केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह से दूरभाष पर वार्ता हुयी थी। उन्होने कहा कुम्भ मेले में समस्त देवी देवताओं जिनका आहवान किया था। उन सभी को विधिवत् पूजा अर्चना कर विर्सजन कर दिया जाये , उन्होने कहा उत्तराखण्ड के सभी देवी देवताओं सिद्वपीठों व तीर्थो से प्रार्थना की गयी कि कोरोना महामारी से पूरे विश्व को मुक्ति मिले, श्रीमहन्त प्रेम गिरि जी महाराज ने कहा देवी देवताओं के विसर्जन के साथ ही कुम्भ मेला 2021 विसर्जित कर दिया गया है 

बैठक में अन्तराष्ट्रीय प्रवक्ता श्रीमहन्त नारायण गिरि जी महाराज श्रीदूधेश्वर पीठाधीश्वर गाजियाबाद , उपाध्यक्ष श्रीमहन्त विद्यानन्द सरस्वती जी महाराज , सचिव श्रीमहन्त मोहन भारती जी महाराज ,सचिव श्रीमहन्त महेशपुरी जी महाराज ,सचिव श्रीमहन्त शैलेन्द्र गिरि जी महाराज ,गादीपति श्रीमहन्त  पृथ्वी गिरि जी महाराज ,निर्माण मंत्री श्रीमहन्त शैलजा गिरि जी ,श्रीमहन्त शिवानंद सरस्वती जी महाराज ,श्रीमहन्त निरंजन भारती जी महाराज ,रमतापंच श्रीमहन्त भल्ले गिरि जी महाराज ,श्रीमहन्त केदारपुरी जी महाराज,श्रीमहन्त मछन्दरपुरी जी महाराज ,श्रीमहन्त आनंद पुरी जी महाराज सहित श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़ा के समस्त पदाधिकारियो की उपस्थिति 

यह निर्णय लिया गया कि अन्य सभी स्नान प्रतिकात्मक रूप होंगे जो कि परम्परा निर्वाहन के लिये अखाडे के देवता का स्नान होगा जिसमे सभी अखाडो के 1 या 2 प्रतिनिधि जाकर देवता का स्नान करायेंगे, एवं 27 अप्रैल हनुमान जयन्ती के स्नान से पूर्व 26 अप्रैल को पुनः जूना अखाड़ा की  महासभा होगी तदोपरान्त निर्णय होगा, विशेषतः आज ही जूना पीठाधीश्वर आचार्य महामण्डलेश्वर स्वामी श्री  अवधेशानन्द गिरि जी महाराज ने भी प्रधानमंत्री से हुयी वार्ता का संदर्भ लेते हुए कुम्भ मेला को सीमित करने की अपील की थी।
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