◼️ दो दिग्गज नेताओं की सियासी महत्वाकांक्षाओं की कीमत चुका रहे हैं गाजियाबाद के समर्थक


@ व्यूज डोज / कमलेश पांडेय, वरिष्ठ पत्रकार


गाजियाबाद :- जनपद में योगी सरकार के स्वास्थ्य राज्यमंत्री और गाजियाबाद के नगर विधायक अतुल गर्ग की कार्यशैली को लेकर स्थानीय निवासी अमित शर्मा इतने नाराज हैं कि बकायदा उन्होंने एक ग्राफिक्स पोस्ट वायरल किया है, जिसमें स्पष्ट रूप से लिखा हुआ है कि गाजियाबाद की जनता को गुमशुदा की तलाश है। 

सवाल है कि अब यह राजनीति से अभिप्रेरित पोस्ट है या कोरोना महामारी में अपना और अपनों की मदद न कर पाने में असमर्थ आरएसएस के स्वयंसेवक और बीजेपी के नेताओं-कार्यकर्ताओं का दर्द, यह तो वही जानें। लेकिन गाजियाबाद में बढ़ते कोरोना प्रकोप के बीच स्थानीय स्वास्थ्य प्रशासन की जो काहिली नजर आई है, उससे विभागीय मंत्री से चिढ़ स्वाभाविक है। ऐसे तो राज्यमंत्री अतुल गर्ग जब भी गाजियाबाद में होते हैं तो सुबह में लोगों से मिलते जुलते हैं, लेकिन महामारी से कराह रही जनता जब उनसे एक अदद बेड, ऑक्सीजन सिलिंडर या अन्य स्वास्थ्य सुविधाओं की अपेक्षा रखती है तो उनका अपने आवास या फोन पर उपलब्ध नहीं होना, आम तो आम उनकी पार्टी के कुछ खास लोगों को भी अखड़ गया। गाजियाबाद के सांसद व केंद्रीय राज्यमंत्री जनरल वी के सिंह का प्रसंग हो या फिर मुरादनगर विधायक अजितपाल त्यागी का प्रसंग या फिर वरिष्ठ बीजेपी नेता (अब दिवंगत) चंद्रमोहन शर्मा का प्रसंग आदि गाजियाबाद के भाजपा नेताओं को स्थानीय स्वास्थ्य प्रशासन का व्यवहार रास नहीं आया। वरिष्ठ पार्टी नेता राजेन्द्र त्यागी से लेकर सरदार सिंह भाटी से पत्र द्वारा जिस तरह से अपनी ही सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है, उससे महामारी की व्यापकता और सिस्टम की अराजकता स्पष्ट दिखाई दे रही है। कहीं कोरोना से सम्बंधित दवाई आदि की कालाबाजारी हो रही है तो कहीं उसको नियंत्रित करने में सक्षम फल-फूल, सब्जी, नींबू आदि के भाव आसमान छू रहे हैं। कई चीजों के दाम 100 से 200 प्रतिशत तक बढ़ गए, लेकिन प्रशासन तमाशबीन बना रहा और नेतागण मतरसुन्न, जैसे पब्लिक को लूटने की स्पष्ट छूट मिल गई हो। स्वाभाविक है कि लोग उन नेताओं से चिढेंगे जो इस विपदा की घड़ी में उनके काम नहीं आए।

अब बात करते हैं इसके पीछे छिपी सियासत की जिससे अन्ततः भाजपा ही कमजोर होगी और आरएसएस की साख पर बट्टा लगेगा। जनपद की राजनीति में पीएम नरेंद्र मोदी के मंत्रिमंडल में शामिल गाजियाबाद सांसद जनरल वी के सिंह और सीएम योगी आदित्यनाथ की मंत्रिमंडल में शामिल गाजियाबाद के विधायक अतुल गर्ग के बीच का छत्तीस का आंकड़ा किसी से छिपी हुई बात नहीं है। सूत्र बताते हैं कि दोनों नेताओं को किसी मजबूरी वश मंत्रिमंडल में जगह दी गई है, जबकि सरकार के मुखिया अपने सिपहसालार से ही खुश नहीं हैं। यही वजह है कि दोनों के कट्टर समर्थक एक दूसरे को सियासी उंगली करते रहते हैं। गाजियाबाद के कद्दावर नेताओं व कार्यकर्ताओं को सरकारी या निजी हॉस्पिटल में एक अदद बेड नहीं मिलने के पीछे भी कुछ ऐसी ही घिनौनी सियासत है, जिसे समझने के बाद गाजियाबाद के सांसद समर्थक नेताओं ने अपने ही प्रशासन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया और अब कुछ लोगों को अतुल गर्ग के खिलाफ पोस्टरबाजी के लिए लगा दिया गया है। इससे इन्हें कितना फायदा होगा, वक्त बताएगा। लेकिन आपसी प्रतिस्पर्धा में जनपद में बीजेपी उसी तरह से रसातल में चली जाएगी, जैसा आज कांग्रेस, सपा, बसपा आदि के बारे में महसूस किया जाता है। सूत्र बताते हैं कि जनरल सिंह के ऊपर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का हाथ है तो अतुल गर्ग के उपर राजनाथ सिंह, अमित शाह व नरेंद्र मोदी जैसे नेताओं का हाथ। इसलिए गत लोकसभा चुनाव के आसपास से दोनों नेताओं के समर्थकों की म्यान से खुली तलवारें क्या गुल खिलाकर अंदर जाएंगी यह तो वक्त ही बताएगा। तब तक कोरोना से हुई सियासी मौतों के आंकड़े गिनते रहिए, जिसके लिए यह सिस्टम दोषी है और इसके मुखिया इस बदतर स्थिति के लिए खुद को भला जिम्मेदार क्यों मानें! आईएएस-पीसीएस उनकी 'मानते' थोड़े हैं!
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