डॉली शर्मा, एआईसीसी सदस्य व पूर्व लोकसभा प्रत्याशी, गाजियाबाद

◼️जिसकी बात कोई नहीं सुन रहा, हर उस व्यक्ति की मदद के लिए जी-जान से जुट जाती हैं डॉली शर्मा

◼️गाजियाबाद, गौतमबुद्धनगर और पूर्वी दिल्ली में जनसेवा कार्यों के लिए लोगों की जुबां पर चढ़ती जा रही हैं डॉली शर्मा

◼️कोरोना प्रकोप के समक्ष सरकारी स्वास्थ्य सिस्टम फेल, न बेड मिल रहा-न ऑक्सिजन सिलिंडर, लोग परेशान: नरेंद्र भारद्वाज

@ व्यूज-डोज/कमलेश पांडेय, वरिष्ठ पत्रकार

गाजियाबाद :- कोरोना की दूसरी लहर से परेशान और समय पर जनस्वास्थ्य सुविधाओं की अनुपलब्धता से खिन्न लोगों के लिए अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की सदस्य और गाजियाबाद की पूर्व लोकसभा प्रत्याशी डॉली शर्मा किसी फरिश्ते से कम नहीं हैं। समकालीन बहानेबाज नेताओं की भीड़ से अलग हटकर, आमलोगों की समस्याओं के निदान के लिए दिन-रात एक करके उम्मीद के अनुरूप परिणाम देने-दिलाने वाली उनकी छवि की हर ओर सराहना हो रही है। 
कोरोना प्रकोप की शांति के लिए रामनवमी के मौके पर राम दरबार, वसुंधरा में प्रार्थना करते हुए कांग्रेस के पूर्व महानगर अध्यक्ष नरेंद्र भारद्वाज।

लोग बताते हैं कि चाहे स्थानीय मीडिया हो या अंतरराष्ट्रीय सोशल मीडिया, हर जगह पर गाजियाबाद की पूर्व महापौर प्रत्याशी डॉली शर्मा की चर्चा हो रही है, जिससे लोगों के मानस पटल से विलुप्त होती जा रही कांग्रेस के लिए एक नया स्पेस भी बनने लगा है। यह बात मैं नहीं कह रहा, बल्कि लोग बता रहे हैं। गाजियाबाद, गौतमबुद्धनगर और पूर्वी दिल्ली के लोगों की जुबान पर, चौक-चौपालों, सभ्य समाज के गलियारों में जिस तरह से कांग्रेस नेत्री डॉली शर्मा के जनसेवा वाले कार्यों की चर्चा देखने-सुनने की मिल रही है, वह उनके उज्ज्वल राजनैतिक भविष्य का द्योतक है। 

दरअसल, कांग्रेस में पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी, कार्यकारी अध्यक्ष राहुल गांधी और पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी से करीबी सियासी रिश्ते रखने वाली कांग्रेस नेत्री डॉली शर्मा कोरोना प्रकोप काल में जो कुछ भी आमलोगों के लिए कर पा रही हैं, उससे कांग्रेस की साख फिर से जनमानस में लौट रही है। इससे यूपी विधानसभा चुनाव 2022 में पार्टी को काफी फायदा मिलेगा। क्योंकि अपने देश की जनता अपने मददगार लोगों खासकर नेताओं को कभी नहीं भूलती है और अपनी जुबानी चर्चा से उसकी सामाजिक स्थिति को मजबूत करते हुए चुनाव काल में तन-मन-धन से उसके साथ खड़ी रहती है। 

बानगी स्वरूप अमित शिशोदिया का ट्वीट हु-ब-हु यहां पर प्रस्तुत कर रहा हूं। वे लिखते हैं कि "आपने मित्र के पिता जी को जब गाजियाबाद में कहीं कोई भर्ती होने की सुविधा नहीं मिली, तो पूरी रात आपने (डॉली शर्मा ने) कॉल पे रह कर गजरौला में एडमिट कराने की व्यवस्था कराई। अपने जीवन में ऐसा नेता नहीं देखा मैंने करोड़ों साधुवाद डॉली दीदी।" 

वह यहीं नहीं रुकते, फिर लिखते हैं कि "आपके (डॉली शर्मा) प्रयासों से वेंटिलेटर मिल गया। ईश्वर करे सब ठीक रहे। जिनके परिचय से आपसे बात हुई, उनका भी धन्यवाद। आप नेक और सच्चे जनसेवक हो। मैं कट्टर भाजपाई और संघ से जुड़ा हूं, पर अब से मैं और मेरे सभी युवा साथी आपके (डॉली शर्मा) हुए दीदी। पार्टी आपके व्यक्तित्त्व के आगे छोटी हो गयी दीदी।" 

वह यहीं नहीं रुकते, बल्कि फिर लिखते हैं कि "असली जनसेवक वो है जो कठिन समय में काम आए। ढेरो दुआएं, आपको जीवन पर्यंत मैं और मेरे साथी नहीं भूलेंगे। हर वक़्त हर जगह साथ खड़े मिलेंगे। आपको अब बता दें कि भाजपा के हर उस नेता 
दोस्त को कॉल किया, पर सबके पास बहाने थे। लेकिन आप पूरी रात उस बच्चे के कॉल उठा कर परिवार के सदस्य की तरह बिना गुस्सा किये मार्गदर्शन देती रहीं। धन्यवाद दीदी।" 

यह ट्वीट तो एक बानगी हैं। केंद्रीय राज्यमंत्री जनरल वी के सिंह के परिचित रोगी की मदद की बात तो पब्लिक डोमेन में है। इसके अलावा, बहुत सारी बातें जनमानस में चल रही हैं। अब आप समझ सकते हैं कि कोरोना काल में आम आदमी कितना परेशान है और अपने मददगार नेता के प्रति वह कितना आभारी है। 

वहीं, कांग्रेस के पूर्व महानगर अध्यक्ष नरेंद्र भारद्वाज बताते हैं कि कोरोना प्रकोप की दूसरी लहर इतनी भयावह है कि आमलोगों को यह बीमारी सोचने का भी मौका नहीं दे रही है कि अब क्या करें, सरकारी व्यवस्था की विफलता से लाचार आदमी अपने नेताओं को याद करता है, लेकिन बहुत कम ऐसे होते हैं, जो उसे अपना काम समझकर करते हैं। यह कितनी अजीबोगरीब स्थिति है कि अस्पताल में बेड कम पड़ रहे हैं, ऑक्सिजन के सिलिंडर कम पड़ रहे हैं, लाइफ स्पोर्ट सिस्टम का अभाव है। आम आदमी दर दर की ठोकरें खाने को अभिशप्त है। निजी अस्पतालों के बिल उसकी वहन क्षमता से अधिक हैं, यदि वह हिम्मत कर भी लेता है तो उसे समुचित सुविधाएं नहीं मिल पाती है। सरकार विकास का ढोंग तो रच रही है, लेकिन जनस्वास्थ्य के मुद्दे पर वह पूरी तरह से फेल दिखाई दे रही है। संघ या बीजेपी के नेताओं के करीबियों का तो थोड़ा बहुत ख्याल भी रखा जा रहा है, लेकिन आम आदमी को अपने रहबर की तलाश है, जो उसकी मदद को खड़ा हो जाता, वही उनके लिए फरिश्ता है। 
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