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गाजियाबाद में लचर व्यवस्था का आलम है कि मतगणना के 35 घंटे बाद जिला पंचायत सदस्य का फाइनल रिजल्ट जारी हो सका। सोमवार सुबह 8 बजे तक कर्मचारी और अधिकारी मतगणना में लगे रहे। दोपहर तक मिलान और अन्य प्रक्रिया का हवाला देते रहे। शाम को 7 बजे रिजल्ट जारी किया गया। इससे लोगों में रोष भी है।

लोगों का कहना है कि हर बार रात तक रिजल्ट जारी हो जाता था। इस बार सभी का रिजल्ट जारी करने में 35 घंटें लगा दिए गए। जबकि पुन: मतगणना के बाद भी इतना समय नहीं लगता है। मोदीनगर मतगणना केंद्र पर सुबह 6 बजे तक, मुरादनगर मतगणना केंद्र पर सुबह 4 बजे तक और लोनी केंद्र पर डेढ़ बजे तक मतगणना चली। रविवार सुबह 8 बजे से गोविंदपुरम अनाज मंडी में रजापुर ब्लाक के प्रधान पद, ग्राम पंचायत सदस्य, क्षेत्र पंचायत सदस्य और जिला पंचायत सदस्य पद के लिए मतगणना शुरू हो गई थी। शुरुआत से ही मतगणना केंद्र पर अव्यवस्थाएं दिखाई दीं। जिन कर्मचारियों की ड्यूटी नहीं थी, उन्हें भी बुला लिया गया था।

इससे मतगणना स्थल पर अनावश्यक रूप से भीड़ बढ़ गई। जबकि कोरोना संक्रमण के कारण कम ही भीड़ पहुंचनी थी। कहीं सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं हुआ। कई टेबल पर मतगणना बहुत धीमी हुई। कई टेबल तो ऐसी थी, जहां से शाम साढ़े 4 बजे तक मतगणना की रिपोर्ट ही प्रस्तुत नहीं की। एसडीएम सदर ने सुपरवाइजर को जेल भेजने की धमकी तक दे दी। प्रमाण पत्र वितरण की स्थिति भी खराब रही। गोविंदपुरम मंडी में मौजूद विजेता प्रधान और बीडीसी समर्थक देवेंद्र कुमार सिंह, मोहित राजपूत, रंजीत सिंह ने कहा कि कई चुनाव देख लिए, लेकिन इससे खराब और लचर व्यवस्था कभी नहीं देखी। अधिकारी 35 घंटे तक भी रिजल्ट घोषित नहीं कर पाए। कोरोना गाइडलाइन का उल्लंघन भी प्रशासन की लापरवाही से हुआ।
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