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गाजियाबाद :- प्रदेश सरकार ग्रामीण क्षेत्र में बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराने का दावा करती है, लेकिन गाजियाबाद में इसकी तस्वीर विपरीत है। जिले में 4 ब्लॉक के 146 ग्रामीण स्वास्थ्य उपकेंद्रों में सालों से ताले लटके हैं। यहां न तो टीकाकरण हो रहा है और न ही इलाज। हाल ही में प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ ने गांव भ्रमण के दौरान बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने का दावा किया था, लेकिन दौरे के 3 दिन बाद भी स्थिति जस की तस है। जांच एवं इलाज की सुविधा न होने से लोग संक्रमण और बुखार की चपेट में आने से मर रहे हैं। बातचीत में ग्रामीणों ने बताया कि न तो स्वास्थ्य विभाग को कोई मतलब है न ही शासन ग्रामीणों की कोई सुध ले रहा है। स्वास्थ्य केंद्रों की मौजूदा स्थिति पर नजर दौड़ाई जाए तो अधिकांश केंद्रों पर ताला लटक रहा है। स्वास्थ्य विभाग के रहनुमा कहते हैं कि संक्रमण से बचाव एवं ग्रामीणों के रोकथाम के लिए बेहतर प्रयास किए जा रहे हैं।

लोनी सामुदायिक केंद्र भी रहता है बदहाल
लोनी में बने सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर लगभग 7 लाख की आबादी के इलाज की जिम्मेदारी है, लेकिन केंद्र की मौजूदा स्थिति यह है कि अगर बारिश हो जाए तो कई दिनों तक जलभराव हो जाता है। ड्यूटी पर आने वाले स्टॉफ व डाक्टरों को भी पानी में कुर्सी लगाकर काम करना पड़ता है। हालांकि मौजूदा समय में सेंटर को कोविड अस्पताल बना दिया गया है।

केस-1 : चिरौड़ी में 6 साल से बंद है स्वास्थ्य केंद्र
लोनी के चिरौड़ी में 20 साल पहले स्वास्थ्य केंद्र बनाया गया था। केंद्र पर डाक्टर और फार्मासिस्ट बैठते थे। प्रतिदिन 100 से अधिक मरीज इलाज के लिए जाते थे, लेकिन पिछले 6 साल से ताला लटक रहा है।
केंद्र को शुरू कराने का काफी प्रयास किया गया था, लेकिन अधिकारियों की लापरवाही के कारण सेंटर का अब तक बंद पड़ा है। नरेंद्र सिंह, चिरौड़ी

केस-2 : भिक्कनपुर स्वास्थ्य केंद्र पर कई महीने से लटका है ताला
भिक्कनपुर गांव की आबादी करीब 12 हजार है। गांव में एक स्वास्थ्य उपकेंद्र बना है, लेकिन पिछले कई महीने से केंद्र पर ताला लटक रहा है। पहले केंद्र को टीकाकरण के लिए सप्ताह में 2 बार खोला जाता था। केंद्र बंद होने के बाद लोग मुरादनगर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर टीकाकरण कराने के लिए जाते थे, लेकिन अब उस अस्पताल को कोविड अस्पताल बना दिया गया है। इससे ग्रामीणों को परेशानी हो रही है।

महीनों से स्वास्थ्य केंद्र का ताला भी नहीं खुला है, जबकि संक्रमण के मामले बढ़ने से एक महीने में 40 लोगों की मौत हो चुकी है। कई बार प्रशासन से जांच एवं इलाज की मांग भी की जा चुकी है, इसके बावजूद कोई सुनवाई नहीं हुई।
मीनू, पूर्व ग्राम प्रधान, भिक्कनपुर
स्वास्थ्य उपकेंद्र पर इलाज मिलना तो दूर की बात है, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर भी लोगों को इलाज नहीं मिलता है। अगर भूल से कोई स्वास्थ्य केंद्र पर इलाज के लिए चला भी जाता है तो उसे रेफर कर दिया जाता है।
दीपक शर्मा, एडवोकेट

4 ब्लॉक में 146 स्वास्थ्य उपकेंद्र
जिले की चार ब्लॉक लोनी, भोजपुर, मुरादनगर एवं रजापुर ब्लॉक में चार सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के अलावा 146 ग्रामीण स्वास्थ्य उपकेंद्र संचालित हैं। इस समय सभी केंद्र बंद पड़े हैं। केंद्र बंद होने से न तो बच्चों एवं गर्भवती महिलाओं का टीकाकरण हो रहा है और न ही किसी सेंटर पर लोगों को कोई इलाज मिल रहा है। ऐसे में लोग झोला छाप चिकित्सकों के पास इलाज कराने के लिए मजबूर हो रहे हैं।

एक्स-रे व अल्ट्रासाउंड जांच की भी व्यवस्था नहीं
ब्लॉक - सीएचसी- एडीशनल पीएचसी -स्वास्थ्य उपकेंद्र - एएनएम - एक्स-रे/अल्ट्रासाउंड जांच
लोनी - 01 - 04 - 30 - 15 - नहीं
भोजपुर - 01- 03 - 42 - 18 - नहीं
मुरादनगर - 01 -04 - 46 - 30 - नहीं
डासना - 01 - 04 - 38 - 24 - नहीं
आबादी के अनुसार स्थिति
2011 की जनगणना के मुताबिक जिले की कुल आबादी- 4681645
जिले की कुल ग्रामीण आबादी - 1519098
कुल ब्लॉक - 04
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र - 04
एडिशनल पीएचसी - 15
ग्रामीण स्वास्थ्य उपकेंद्र - 146

कोविड संक्रमण बढ़ने के बाद एडिशनल पीएचसी एवं ग्रामीण स्वास्थ्य उपकेंद्र के स्टॉफ को सर्विलांस एवं टीकाकरण में लगाया गया है। इस कारण से कई केंद्र बंद हैं। संक्रमण कम होने के बाद सभी स्टाफ दोबारा वापस भेज दिए जाएंगे, इसके बाद सभी केंद्र संचालित होने लगेंगे।
डॉॅ. एनके गुप्ता, सीएमओ
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