रिपोर्ट :- सोबरन सिंह


गाजियाबाद :- कोरोना महामारी के दौरान बीते दिनों जिस तरह हाहाकार मचा उसने समूचे देश को हिला कर रख दिया। बिना बेड, ऑक्सीजन के लोगों ने तड़प तड़प कर अपनों के सामने जान गवा दी। किसी का पूरा परिवार तबाह हो गया। हंसती खेलती जिंदगी उजड़ गई। लेकिन सरकारी दावे पूरी तरह ढेर नजर आए। हालांकि बाद में सरकार ने व्यवस्था बनाई लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। इस बार कोरोना की दूसरी लहर शहर के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्रों में पहुंची और जमकर कहर बरपाया 

शासन ने प्रशासनिक अधिकारियों को ग्रामीण क्षेत्रों में वैक्सीनेशन कराने के निर्देश दिए। लेकिन शासनादेश महज दिखावा साबित हो रहे हैं। खासकर लोनी क्षेत्र में देखा जाए तो ग्रामीण क्षेत्रों में सरकारी सुविधा से ज्यादा गांव वाले अपने स्तर से लोगों को जागरूक कर रहे हैं और खुद कोरोना नियमों का पालन कर रहे हैं। नाम ना छापने की शर्त पर ग्राम प्रधान बताते हैं कि गांव में लोग खुद जागरूक होकर वैक्सीनेशन करा रहे हैं। जबकि सरकारी तौर पर गांव में इंतजाम नाकाफी है। लोगों का मानना है कि सरकार अपने कार्यों का बखान ज्यादा करती हैं जबकि जमीनी हकीकत कुछ और ही होती है। 

सीएम के दौरे के दौरान लोनी के गांव जावली में बीमारी का ऐसा प्रकोप था कि घर घर में लोग बीमार थे लेकिन सत्ताधारी और प्रशासनिक चतुराई ने सीएम को जावली जाने की वजाय भोवापुर चुना जहां पहले से ही सब कुछ तय हो गया था। कोरोना की दूसरी लहर ने सरकार की कथनी करनी को जनता के सामने खुली किताब की तरह रख दिया। एक तरफ जनता कोरोना महामारी से जूझ रही थी तो दूसरी ओर लॉकडाउन व कोरोना कर्फ्यू के नाम पर बाजार बंद करा दिए, व्यापारिक प्रतिष्ठान बंद हो गए। लेकिन अपने राजस्व को बढ़ाने के लिए सरकार ने शराब की दुकानों को खोल दिया, जहां कोरोना नियमों की जमकर धज्जियां उड़ी। सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों को कोरोना से बचाने के लिए वैक्सीनेशन पर जोर दिया लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है। गांव में वैक्सीनेशन का कार्य कछुआ गति से चल रहा है। जिससे सरकार के प्रति लोगों का आक्रोश बढ़ा है।
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