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गाजियाबाद :- कोरोनावायरस के चलते बेशक जिंदगी एक बार फिर से ठहर गई हो, लेकिन स्कूलों की फीस का मुद्दा अभी तक हल नहीं हुआ है। अभिभावक अभी तक फीस में रियायत की मांग कर रहे हैं। लेकिन स्कूल लगातार फीस जमा करने का दबाव अभिभावकों पर बना रहे हैं। ऐसी ही शिकायत लेकर उत्तर प्रदेश उद्योग व्यापार मंडल के युवा प्रदेश उपाध्यक्ष राजू छाबड़ा ने सरकार से अपील की है कि स्कूलों की फीस को माफ करवाया जाए। 

उनका कहना है कि 2020 से ही लोग काम धंधे बंद करके अपने घरों पर बैठे हैं। ना तो लोगों की नौकरियां ही चल रही है। और ना ही कारोबार चल रहा है । कारोबारियों का तो और बुरा हाल है क्योंकि व्यापार तो चल नहीं रहा, उल्टे उन्हें अपने स्टाफ को सैलरी लगातार देनी पड़ रही है। कई प्रकार के खर्चे भी उन्हें वहन करने पड़ रहे हैं। ऐसे में घर चलाना बहुत मुश्किल हो गया है। लेकिन दुख की बात है कि आम आदमी की इस परेशानी को ना समझते हुए स्कूल संचालक लगातार अभिभावकों पर फीस जमा करने का दबाव बना रहे हैं। जब स्कूल चल ही नहीं रहे तो अभिभावक किस चीज की फीस दें। 

उन्होंने कहा कि ज्यादातर स्कूल विधायक व सांसदों के हैं। इसलिए स्कूल की गुंडागर्दी पर सरकार आंख बंद कर बैठी है। उन्होंने कहा कि महामारी में लोगों ने जिस तरह से ऑक्सीजन अस्पताल और रेमेडीसीवर जैसी दवाओं के लिए अपना पैसा पानी की तरह बहाया है। उससे सरकार को सबक लेना चाहिए कि पहले से ही परेशानी में घिरी आम जनता को कम से कम थोड़ी सहूलियत तो मिले। इसलिए स्कूलों की फीस माफ की जाए ताकि आम आदमी राहत महसूस कर सके ।
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