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गाजियाबाद :- कोरोना संक्रमित लोगों का इलाज करने के नाम पर परिजनों को ‘लूट’ रहे अस्पतालों की मनमानी में अब शायद कोई कमी आ जाए। मुख्यमंत्री के आगमन से एक दिन पहले जिला प्रशासन ने अस्पतालों के बाहर इलाज खर्च के रेट डिस्पले करा दिए हैं। सुविधाओं की दृष्टि से अस्पतालों की कैटेगरी के आधार पर प्रतिदिन का इलाज खर्च निर्धारित किया गया है।

कोरोना की दूसरी लहर के शुरूआती दौर में ही अस्पतालों की इलाज खर्च वसूलने में मनमानी की शिकायतें सामने आने लगी थीं। अस्पताल प्रबंधन मरीजों का 5 से 7 लाख रुपये का बिल बना रहे थे। इसके बाद 13 अप्रैल को ही शासन ने आइसोलेशन बेड, आईसीयू और वेंटिलेटर बेड की दरें निर्धारित कर दी थीं। सभी जिलों के डीएम और सीएमओ को इस आदेश का पालन कराने का जिम्मा सौंपा गया था। बावजूद इसके अस्पताल मरीजों और उनके परिजनों की जेबें खाली करते रहे, लेकिन अंकुश नहीं लगाया गया। 

अब रविवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गाजियाबाद के दौरे पर रहेंगे तो एक दिन पहले ही जिला प्रशासन ने सभी अस्पतालों के बाहर इलाज खर्च की दरों का बैनर लगवा दिया। अस्पताल में सुविधाओं के हिसाब से बेड के रेट तय किए गए हैं। इनमें सबसे ज्यादा शुल्क वेंटिलेटर बेड का है। इसके लिए छोटे अस्पतालों में अधिकतम 15 हजार और बड़े अस्पतालों में 18 हजार रुपये शुल्क लिया जा सकता है। दवाओं और डॉक्टर की विजिट का खर्च अलग से नहीं जोड़ा जाएगा। हालांकि मुख्यमंत्री के दौरा करके चले जाने के बाद इनका पालन कितना होगा, इसका अंदाजा नहीं है।
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