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गाजियाबाद :- मसूरी थानाक्षेत्र के डासना देवी मंदिर में बुधवार रात 2 संदिग्ध युवकों को मंदिर के सेवादारों ने दबोच लिया। तलाशी के दौरान आरोपियों के कब्जे से सर्जिकल ब्लेड बरामद होने से सनसनी फैल गई। मंदिर महंत यति नरसिंहानंद सरस्वती ने आरोपियों को खुद की हत्या के लिए भेजे गया बदमाश बताया। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि दोनों को हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है।

एसपी ग्रामीण डॉ. ईरज राजा का कहना है कि एक व्यक्ति विपुल विजयवर्गीय है जबकि दूसरा काशिफ है। विपुल विजयवर्गीय ने बताया है कि वह सर्जिकल ब्लेड से ट्रीटमेंट करता है। दोनों को हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है जांच में जो तथ्य सामने आएंगे, उसके आधार पर आगामी कार्रवाई की जाएगी।

फेसबुक पर हुई थी दोनों की दोस्ती
मंदिर के सेवादारों द्वारा की गई पूछताछ के दौरान काशिफ ने बताया कि करीब 3 साल पहले विपुल विजयवर्गीय से फेसबुक पर उसकी दोस्ती हुई थी। सेवादारों द्वारा दोस्ती का मकसद पूछने पर उसने कहा कि एक सामान्य फेसबुक फ्रेंड के जरिए उनकी मुलाकात हुई और फोन पर फिर बातचीत होने लगी। विपुल विजयवर्गीय ने बताया कि वह कुछ दिन से गाजियाबाद आए हुए थे। उन्हें डासना देवी मंदिर के महंत के दर्शन करने थे। उन्होंने मंदिर नहीं देखा था, इसलिए काशिफ को साथ लेकर आए थे।

दिल्ली में पकड़ा गया था महंत की हत्या के लिए निकला आतंकी
अपने बयानों से चर्चा में रहने वाले महंत यति नरसिंहानंद कट्टरपंथियों के निशाने पर हैं। हाल ही में दिल्ली क्राइम ब्रांच ने साधु के भेष में एक आतंकी को गिरफ्तार किया था। आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद से जुड़े इस आतंकी ने बताया था कि उसका मकसद डासना देवी मंदिर के महंत यति नरसिंहानंद सरस्वती की हत्या करना था।

हत्या के लिए भेजा गया : महंत यति नरसिंहानंद सरस्वती
महंत यति नरसिंहानंद सरस्वती ने कहा कि रात करीब 8.30 बजे दो लोग मंदिर में आए। गेट पर तैनात पुलिस ने रजिस्टर में एंट्री की तो एक ने खुद को नागपुर निवासी विपुल विजयवर्गीय बताया और अपने साथी का नाम काशी गुप्ता लिखवाया। दोनों के पास एक बैग था। मंदिर परिसर में दोनों की गतिविधियां देख कर सेवादारों ने पूछताछ की तो उन्होंने अपने नाम वही बताए जो रजिस्टर में लिखवाए थे। गहनता से जांच पड़ताल करने पर काशी गुप्ता नाम से एंट्री कराने वाला व्यक्ति का नाम काशिफ निकला जो संजयनगर गाजियाबाद का रहने वाला बताया जा रहा है। यती नरसिंहानंद सरस्वती का कहना है कि दोनों आरोपी किसी संगठन से ताल्लुक रखते हैं और उन्हें उनकी हत्या के लिए भेजा गया था।
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