सिटी न्यूज़ | हिंदी.....✍🏻


गाजियाबाद :- रोजबैल पब्लिक स्कूल के डायरेक्टर यशमीत सिंह ने कहा कि छात्र-छात्राओं का कोरोना वायरस से ज्यादा नुकसान स्कूल बंद होने के कारण हो रहा है। बच्चों का ज्यादा समय मोबाइल.लैपटॉप पर व्यतीत हो रहा है। इसका असर उनकी आंखों पर हो रहा है। साथ ही अनेक प्रकार के मनोरोग भी हो रहे हैं।

कई अभिभावक कोरोना की वजह से अपने बच्चों को आस-पड़ोस  के बच्चों से मिलने व उनके साथ खेलने भी नहीं दे रहे हैं जिसका असर बच्चों के शारीरिक विकास पर भी पड़ रहा है। यशमीत सिंह ने कहा कि ऑनलाइन क्लासेस स्कूल में लगने वाली क्लासेस का मात्र एक विकल्प है। स्कूल में बच्चा केवल अध्यापक से ही नहीं अपितु अपने सहपाठियों से भी बहुत कुछ सीखता है। उसके शब्दज्ञान का विकास स्कूल में रहते हुए तेजी से होता है। 90 प्रतिशत से ज्यादा स्कूल बजट स्कूलों में आते हैं जहां पर मध्यम व निम्न आय वर्ग वर्गों के घरों से बच्चे पढ़ने आते हैं। 

इन परिवारों के बडी संख्या में ऐसे बच्चे हैं जिन्होंने या तो ऑनलाइन क्लास अटेंड नहीं की या फिर बीच मे छोड़ दी। ये सभी बच्चे पढ़ाई में पिछड़ जाएंगे, जिससे भविष्य में भी इनके पास खाने-कमाने व नौकरी के सीमित अवसर ही रह जाएंगे। बजट स्कूल जिनकी फीस 3000 रुपए महीना से कम है, उनमें ऑनलाइन क्लॉसेज में अटेंडेंस लगातार कम हो रही है। ऐसे में सरकारी स्कूलों के क्या हाल होंगे, इसका अदांजा आसानी से लगाया जा सकता है। 

स्कूलों ने ऑनलाइन शिक्षा की अपने स्टॉफ को तो ट्रेनिंग दे दी परंतु उन अभिभावकों की ट्रेनिंग नहीं हुई जो ऑनलाइन क्लास में अपने बच्चों के साथ बैठते हैं। करोड़ों अभिभावकों के लिए घरेलू कामों के साथ साथ घंटों बच्चों के साथ ऑनलाइन क्लास अटेंड करना व उनका होमवर्क करवाना बहुत बडी चुनौती है। इन सभी समस्याओं को देखते हुए सरकार को स्कूलों को कोविड प्रोटोकोल्स के तहत खोलना चाहिए जिससे कि बच्चों की पढ़ाई वापस पटरी पर आ सके।
Previous Post Next Post