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विश्व ब्राह्मण संघ ने श्रावणी पूर्णिमा का पर्व संस्कृत दिवस के रूप मनाया  :- विश्व ब्राह्मण संघ द्वारा श्रावणी पूर्णिमा का पर्व संस्कृत दिवस के रूप मनाया गया। इस मौके पर संस्कृत के विद्वानों का सम्मान भी किया गया। संस्था के प्रवक्ता बीके शर्मा हनुमान ने बताया कि भारत में प्रतिवर्ष श्रावणी पूर्णिमा के पावन अवसर को संस्कृत दिवस के रूप में मनाया जाता है। श्रावणी पूर्णिमा को ऋषियों के स्मरण तथा पूजा और समर्पण का पर्व माना जाता है। 

वैदिक साहित्य में इसे श्रावणी कहा जाता था। इसी दिन गुरुकुलों में वेदाध्ययन कराने से पहले यज्ञोपवीत धारण कराया जाता है। इस संस्कार को उपनयन अथवा उपाकर्म संस्कार कहते हैं। इस दिन पुराना यज्ञोपवीत भी बदला जाता है। ब्राह्मण यजमानों को रक्षासूत्र भी बांधते हैं। ऋषि ही संस्कृत साहित्य के आदि स्रोत हैं, इसलिए श्रावणी पूर्णिमा को ऋषि पर्व और संस्कृत दिवस के रूप में मनाया जाता है। 

सन 1969 में भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय ने केन्द्रीय तथा राज्य स्तर पर संस्कृत दिवस मनाने का निर्देश जारी किया गया था। तब से पूरे भारत में संस्कृत दिवस श्रावण पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। इस दिन को इसीलिए चुना गया था कि इसी दिन से प्राचीन भारत में शिक्षण सत्र शुरू होता था। इसी दिन से वेद पाठ का आरंभ होता था और इसी दिन से छात्र शास्त्रों का अध्ययन शुरू करते थे। ऋषि ही संस्कृत साहित्य के आदि स्रोत हैं, इसीलिए श्रावणी पूर्णिमा को ऋषि पर्व और संस्कृत दिवस के रूप में मनाया जाता है
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