रिपोर्ट :- विकास शर्मा 


हरिद्वार :- श्रावणी उपाकर्म का पवित्र पत्र ऋषि तर्पण पर हजारों तीर्थ पुरोहितों ने गंगा तटों पर हिमाद्रि संकल्प के साथ यज्ञोपवीत और रक्षा सूत्रों का संधान किया। भोर से ही हरकी पैड़ी और कुशावर्त घाट पर पुरोहित इस पर्व को मनाने जुटने लगे थे।

हरिद्वार के रामघाट, भूमा घाट, कनखल राजघाट आदि पर भी वशिष्ठ, कश्यप, भारद्वाज, जमदग्नि, गौतम, विश्वामित्र व अत्रि आदि के वंशजों को भी तर्पण दिया गया।
भारतीय प्राच्य विद्या सोसायटी की ओर से राधा कृष्ण मंदिर में हिमाद्रि संकल्प, यज्ञोपवीत और रक्षा सूत्रों का संधान किया गया। जिसमें ओमकार,अग्नि,सर्प, सोम, पितृ, प्रजापति, अनिल,सूर्य, विश्व देव का आह्वान कर उनकी शक्तियों को यज्ञोपवीत में समाहित किया गया। 

आचार्य नितिन शुक्ला के आचार्यत्व में आयोजित कार्यक्रम में डाक्टर प्रतीक मिश्रपुरी, आचार्य दीप रत्न शर्मा, सर्वेश खैरवाल,नीरज शुक्ला,अभिनव शुक्ला,अभिषेक कौशिक, रचित शर्मा,विनीत पराशर आदि मौजूद रहे। इधर धर्मनगरी के समस्त शुक्ल यजुर्वेदीय ब्राह्मणों ने हिमाद्रि संकल्प के साथ स्नान किया। हिमाद्रि स्नान के लिए चिरचिता,कुशा,दुर्वा,अपामार्ग से संकल्प किया गया। नाना पक्ष, दादा पक्ष, गुरु भीष्म पितामह सभी के लिए तिल से तर्पण किया गया।

श्री पंच अग्नि अखाड़े के श्रीमहंत एवं सिद्ध पीठ चंडीकेश्वर के अध्यक्ष सतपाल ब्रह्मचारी ने कहा कि श्रावणी कर्म शुद्धि का सर्वोत्तम साधन है। एक ब्राह्मण के लिए यह कर्म सबसे बड़ा वरदान है। इसे उपाक्रम भी कहते हैं। यह प्राचीन शास्त्र संगत परंपरा है।
 श्रावणी कर्म कार्यक्रम के दौरान सतपाल ब्रह्मचारी के नेतृत्व में विधि विधान के साथ ब्राह्मणों की ओर से पूर्णाहुति दी गयी।
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