रिपोर्ट :- अजय रावत


गाज़ियाबाद :- व्यापारी नेता उदित मोहन गर्ग ने बताया कि जीएसटी में एक प्रमुख समस्या यह बनी हुई है की माल के परिवहन के दौरान अधिकारियों की कोई जवाबदेही तय नहीं है जिस कारण से अधिकारियों द्वारा अनावश्यक रूप से इस बात का फायदा उठाया जाता है एवं व्यापारियों का उत्पीड़न किया जाता है जब कोई व्यापारिक किसी माल को बिल एवं ईवे बिल के साथ कहीं किसी दूसरे व्यापारी के यहां भेज रहा होता है तो ई वे बिल या बिल बनाते समय छोटी-छोटी गलतियां हो जाती है और उन छोटी-छोटी गलतियों के कारण व्यापारी का माल अधिकारियों द्वारा रोक लिया जाता है और ड्राइवर को इस विषय में कोई जानकारी नहीं होती उससे गलत बयान करा कर हस्ताक्षर करा लिए जाते हैं और वह दबाव में आकर हस्ताक्षर कर देता है 

उन्होंने बताया कि जीएसटी में जहां पर माल पकड़ा जाता है वहीं पर ही उसकी अपील की जाती है उदाहरण के तौर पर यदि कोई व्यापारी गाजियाबाद का है और वह केरल माल भेज रहा है और केरल में किसी दूरदराज इलाके में  उसके माल की गाड़ी रोक ली जाती है और कोई छोटी मोटी गलती के कारण उसके माल का परिवहन नहीं होने दिया जाता अब गाजियाबाद के व्यापारी को केरल की भाषा नहीं आती वह अधिकारी को अपनी बात समझाने में असमर्थ होता है कि उसका ईवे बिल वैधता क्यों समाप्त हो गई है या अन्य क्या कारण रहा है हमारी जीएसटी काउंसिल से यह मांग है कि जो व्यापारी माल भेज रहा है उसी के क्षेत्राधिकार में उस गलती की सुनवाई का अवसर दिया जाना चाहिए ना कि व्यापारी को जगह जगह जाकर सुनवाई करवानी पड़े इससे समय एवं धन दोनों ही बचेंगे एवं ऐसे मामले भी संज्ञान में आए हैं जिसमें अधिकारियों द्वारा अनावश्यक रूप से व्यापारियों का उत्पीड़न किया जाता है 

उन्होंने कहा कि अगर कोई भी ऐसा मामला हो तो ऐसे मामले में अधिकारियों की भी जवाबदेही तय होनी चाहिए आज तकनीकी का जमाना है कोई ऐसा तकनीकी उपाय होना चाहिए जिससे उस समय अधिकारी का बयान एवं ड्राइवर का बयान ऑनलाइन वीडियो के रूप में अपलोड किया जाए और यदि व्यापारी सही है तो उसका उत्पीड़न क्यों किया गया अधिकारियों को भी जीएसटी नियमों का पूर्ण ज्ञान होना चाहिए अधिकारियों द्वारा मनमानी नहीं करनी चाहिए अधिकारियों द्वारा फोन पर यह बताना चाहिए कि क्या समस्या आ रही है वह फोन पर बात करने से मना कर देते हैं और व्यापारी को अनावश्यक इतनी दूर जाना पड़ता है अगर उनकी जवाबदेही तय होगी तो अधिकारी अपनी मनमानी नहीं कर सकेंगे l
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