◼️मीडिया 360 लिट्रेरी फाउंडेशन के ‌कथा संवाद में मौजूदा दौर की कहानियों पर हुआ विमर्श
                         

सिटी न्यूज़ | हिंदी.....✍🏻


गाजियाबाद :- मौजूदा दौर की कहानी जीवन की विसंगतियों का प्रतिबिंब है। आधुनिक समाज की कहानियां जितने विभत्स रूप में हमारे सामने आ रही हैं असल जिंदगी उससे भी अधिक भयावह है। मीडिया 360 लिट्रेरी फाउंडेशन के कथा संवाद में पढ़ी गई कहानियां जिंदगी के विद्रूप पक्ष का बयान हैं। कथा संवाद में बतौर अध्यक्ष बोलते हुए प्रो. राज नारायण शुक्ला ने उक्त उद्गार प्रकट किए। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रताप सोमवंशी ने कहा कि आज सुनी गईं तमाम कहानियां इस बात की घोषणा करती हैं कि स्त्री विमर्श की जितनी जरूरत कल थी उतनी ही जरूरत आज भी है। इस बात पर एतराज़ ‌हो सकता है कि आज की कहानी स्त्री देह के इर्द-गिर्द घूम रही है, लेकिन हम इस बात से इंकार नहीं कर सकते कि स्त्री के‌ विरुद्ध दैहिक शोषण का पुरातन सिलसिला जारी है।  
   
होटल रेडबरी में आयोजित कथा संवाद में शिवराज सिंह की कहानी 'चाह' पर विमर्श की शुरूआत करते हुए पत्रकार आशुतोष अग्निहोत्री ने कहा कि हमें ऐसी रचनाओं से बचना चाहिए जो सामाजिक सुचिता के विरुद्ध खड़ी दिखाई दें। रंगकर्मी अक्षयवर नाथ श्रीवास्तव ने पन्नालाल पटेल की कहानी 'चंकू' का उदाहरण देते हुए कहा कि स्त्री-पुरुष के दैहिक संबंधों पर कई रचनाकारों की कालजई रचनाएं भी हमारे सामने हैं। लेकिन इस विषय पर लिखते हुए सतर्कता बरतना आवश्यक है। अन्यथा उसके अश्लीलता के दायरे में जाने का खतरा बढ़ जाएगा। प्रख्यात ‌व्यंग्यकार आलोक पुराणिक ने कहा कि वर्तमान दौर के आदमी की जिंदगी आज रामगोपाल वर्मा और बड़जात्या के बीच चल रही फिल्म के सुखांत या ससपेंस के बीच कहीं फंसी है। उन्होंने कहा कि कहानी को सुखांत अंत देने की लेखकीय कोशिश बेमानी है। जब वास्तविक जीवन में सुख नही है तो कहानी सुखांत कैसे हो सकती है? कार्यक्रम के अति विशिष्ट अतिथि एवं आलोचक रघुवीर शर्मा ने कहा कि अपने प्रारंभिक दौर बाल्यकाल में प्रेमचंद ने एक कहानी के अंत में रचना के सभी पात्रों को इसलिए मार दिया था क्योंकि उन्हें उसका कोई अंत नहीं सूझ रहा था। उन्होंने कहा कि आधुनिक दौर में कहानी को सुखांत अंत के दायरे में कैद नहीं किया जा सकता। आज का पाठक इतना जागरूक है कि वह अपने तरीके से अंत निर्धारित कर लेता है। 
  
मुख्य अतिथि प्रताप सोमवंशीने कहा कि कथा संवाद में सुनाई गईं तमाम कहानियां आर्थिक, सामाजिक और पारिवारिक विसंगतियों का वास्तविक ‌बयान हैं। कथा संवाद में रिंकल शर्मा ने अपने नाटक 'हुलिया' के कथानक, रश्मि पाठक ने 'मौनी', मनु लक्ष्मी मिश्रा ने 'इलेक्शन ड्यूटी', डॉ. पूनम सिंह ने 'मत लौटना आंगन पाखी', डॉ. बीना शर्मा ने 'लाट साहब' व डॉ. निधि अग्रवाल ने 'पेड़ों पर उगी प्रतीक्षित आंखें' का पाठ किया। सभी कहानियों पर‌ गहन विमर्श हुआ। कार्यक्रम का संचालन दीपाली जैन 'जिया' ने किया। इस अवसर पर उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान द्वारा पुरस्कृत साहित्यकार बी. एल. गौड़, सुभाष चंदर, आलोक पुराणिक और डॉ. निधि अग्रवाल को मीडिया 360 लिट्रेरी फाउंडेशन की ओर से "साहित्यश्री गौरव सम्मान" प्रदान किया गया। इस अवसर पर डॉ. महकार सिंह, आशुतोष अग्निहोत्री, रवींद्रकांत त्यागी, मदन पांचाल, गोविंद गुलशन, सुरेंद्र सिंघल, आलोक यात्री, बी. एल. बतरा 'अमित्र', सुभाष अखिल, किशोर श्रीवास्तव, अनिमेष शर्मा, अक्षयवर नाथ श्रीवास्तव, विष्णु कुमार गुप्ता, वागीश शर्मा, तिलक राज अरोड़ा, के. के. सिंघल, गुरबख्श सिंह, सुरेंद्र शर्मा, तनु, जे. पी. गुप्ता, कल्पना आर्य, निग्रह, टेकचंद, सौरभ कुमार, राहुल सिंह, भारत भूषण बरारा सहित बड़ी संख्या में श्रोता मौजूद थे।
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