रिपोर्ट :- विकास शर्मा


हरिद्वार :- धर्म नगरी में ही एक शक्तिपीठ भी है जो सती के त्याग की गवाह है। हरिद्वार का माया देवी शक्तिपीठ 51 शक्तिपीठों में से एक है, जहां सती की नाभि गिरी थी। सती और शिव का संबंध अटूट है।भगवान भोले में बसती हैं सती और शक्ति के हृदय में रहते हैं शिव। लेकिन सती की अग्निसमाधि के बाद जब शिव, सती का शरीर लेकर समूचे ब्रह्मांड में भटक रहे थे तब भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से सती के शरीर के टुकड़े-टुकड़े कर दिए। धरती पर ये टुकड़े जहां-जहां गिरे वो स्थान शक्तिपीठ कहलाए। उन 51 शक्तिपीठों में से एक है हरिद्वार का माया देवी मंदिर जहां गिरी थी सती की नाभि।

पौराणिक मान्यता के अनुसार जब सती ने अपने पिता के यज्ञ में अपने पति को नहीं बुलाए जाने से अपमानित होने पर आत्मदाह कर लिया था और अपने शरीर को वहीं सतीकुंड पर छोड़कर महामाया रूप में हरिद्वार के इसी स्थान पर आ गई थीं. इसीलिए इस जगह का नाम मां मायादेवी पड़ा। मां माया देवी मंदिर के साथ ही भैरव बाबा का मंदिर भी मौजूद है

और मान्यता है कि मां की पूजा तब तक पूर्ण नहीं मानी जाती जब तक भक्त भैरव बाबा का दर्शन पूजन कर उनकी आराधना नहीं कर लेते। नवरात्रों के दौरान इस मंदिर में पूजा अर्चना का विशेष महत्व है।
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