रिपोर्ट :- विकास शर्मा


हरिद्वार :- उत्तराखंड में आगामी 2022 में विधानसभा चुनाव में लखीमपुर खीरी में किसान आंदोलन दौरान भड़की हिंसा में किसानों को ही हुई मौत में सत्ताधारी भाजपा की चुनावी राह आसान होती नहीं दिख रही है। भले ही योगी सरकार द्वारा मामले को कंट्रोल किया जा चुका है। लेकिन इस घटनाक्रम में बीजेपी को सियासी नुकसान हो सकता है। लखीमपुर की घटना से सिर्फ उत्तर प्रदेश में ही नहीं बल्कि उत्तराखंड और पंजाब के किसानों में जबरदस्त गुस्सा दिखा हैं।
 
चुनाव से पहले बीजेपी के खिलाफ बने माहौल को लपकने के लिए विपक्षी दल के नेता उत्तर प्रदेश में ही नहीं बल्कि पंजाब और उत्तराखंड के तराई इलाके में किसानों के समर्थन में खड़े नजर आए. लखीमपुर खीरी की घटना को लेकर उत्तराखंड के तराई बेल्ट में किसानों ने जसपुर, काशीपुर, रुद्रपुर, गदरपुर, किच्छा, बाजपुर, सितारगंज और नानकमत्ता में जोरदार प्रदर्शन किया. इस इलाके में खेती-किसानी का लगभग पूरा काम सिखों के पास है और उनका यहां की सियासत में भी खासा प्रभाव है.

उत्तर प्रदेश के साथ-साथ पंजाब और उत्तराखंड में निश्चित रूप से बीजेपी की चिंता बढ़ी है क्योंकि किसान लीखमपुर वाकये से बुरी तरह भड़के हुए हैं. किसान आंदोलन के दौरान लखीमपुर खीरी में जिन चार किसानों को गाड़ी से कुचल कर मार दिया गया है, वो सभी सिख समाज से हैं. घटना का सीधा-सीधा आरोप बीजेपी नेता व केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा के बेटे पर लगा है, जिनके खिलाफ एफआईआर भी दर्ज कर ली गई है. ऐसे में यूपी-उत्तराखंड के तारई इलाके के साथ-साथ पंजाब की सियासत पर भी इसका असर पड़ना लाजमी है.

उत्तराखंड के उधम सिंह नगर जिले की 9 विधानसभा सीटों में सिख और पंजाबी मतदाता अच्छी संख्या में हैं. इसके अलावा देहरादून और हरिद्वार के इलाके में भी सिख समुदाय काफी अहम है. कृषि क़ानूनों के खिलाफ चल रहे आंदोलन की जिस तरह कयादत पंजाब के किसानों ने की है और बीजेपी के खिलाफ मोर्चा खोला है, उससे पंजाब के साथ-साथ उत्तराखंड और यूपी के तराई इलाके के सिख और पंजाबी मतदाता भी बीजेपी के खिलाफ खड़े नजर आ रहे हैं. ऐसे में लखीमपुर खीरी की घटना ने उनके गुस्से को और भी बढ़ा दिया है.

उत्तराखंड के हरिद्वार और उधमसिंह नगर के इलाक़ों में किसान आंदोलन का अच्छा असर है. इन दोनों जिलों में किसानों की अच्छी-खासी संख्या है और यह बीजेपी के लिए मुश्किल भरा साबित हो सकता है. देहरादून जिले के मैदानी इलाकों में भी विपक्ष किसानों के बीच बीजेपी के ख़िलाफ माहौल बनाने में जुटा है. हरीश रावत लगातार सूबे में दौरा करके यह बताने में जुटे हैं कि बीजेपी किस तरह से किसान विरोधी है. ऐसे में इससे निपट पाना बीजेपी के लिए आसान नहीं होगा।
Previous Post Next Post