रिपोर्ट :- अजय रावत


गाजियाबाद :- निजी स्कूलों की मनमानी को लेकर एक ओर जहां अभिभावक परेशान हैं, वहीं शासन स्तर से गठित की गई जिला शुल्क नियामक समिति की निष्क्रियता ने अभिभावकों की परेशानियों को और ज्यादा बढ़ा दिया है। जिला शुल्क नियामक समिति पिछले 3 साल में डीएलएफ स्कूल की फीस का निर्धारण नहीं कर सकी है। जिसके चलते अभिभावक ऑल स्कूल पेरेंट्स एसोसिएशन की मदद सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए। सुप्रीम कोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए जिला शुल्क नियामक समिति को 4 सप्ताह में निर्णय लेने के आदेश दिए हैं।

डी.एल.एफ पब्लिक स्कूल के अभिभावक राहुल जैन ने ऑल स्कूल पेरेंट्स एसोसिएशन के पदाधिकारियों संग पत्रकार वार्ता कर जिला शुल्क नियामक समिति पर स्कूलों को लाभ पहुंचाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि डी.एल.एफ स्कूल द्वारा फीस निर्धारण कानून के तहत फीस निर्धारण न किए जाने पर उन्होंने 24-12-2018 को जिला शुल्क नियामक समिति के समक्ष शिकायत की थी। समिति द्वारा बार-बार मांगे जाने पर भी स्कूल ने पत्र जात उपलब्ध नहीं कराए। 

जिसके बाद समिति ने स्कूल पर 03-06-2019 को प्रथम जुमार्ना एक लाख रुपये, 07 06-2019 को द्वितीय जुमार्ना पांच लाख रुपये और 02-09-2020 को तृतीय जुमान (स्कूल मान्यता रद्द ) अधिरोपित किया। किन्तु विभागीय खामियों के चलते स्कूल पर अधिरोपित जुमान राशि ( पांच लाख रुपये) वसूली नहीं गयी ओर न ही तृतीय जुमानें को लागू किया गया। इस मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने 20.10.2021 जिला शुल्क नियामक समिति से चार सप्ताह के भीतर निर्णय लेने के आदेश पारित किए है। पत्रकारवार्ता में ऑल स्कूल पेरेंट्स एसोसिएशन की राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवानी जैन, महासचिव सचिन सोनी, लीगल एडवाईजर मोहम्मद फुजैल खान, आशुतोष श्रीवास्तव, मेघा तोमर एडवोकेट उपस्थित थे।
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